जरुरी जानकारी | एलपीजी के दाम में कटौती का बोझ पेट्रोलियम कंपनियों पर, सरकार के सब्सिडी देने की संभावना नहीं
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. पेट्रोलियम कंपनियों की चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बंपर कमाई और कच्चे तेल के अपने उच्चतम स्तर से नीचे आने के बीच अनुमान जताया जा रहा है कि एलपीजी कीमतों में हुई 200 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती का बोझ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां उठा सकती हैं।
नयी दिल्ली, 30 अगस्त पेट्रोलियम कंपनियों की चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बंपर कमाई और कच्चे तेल के अपने उच्चतम स्तर से नीचे आने के बीच अनुमान जताया जा रहा है कि एलपीजी कीमतों में हुई 200 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती का बोझ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां उठा सकती हैं।
सूत्रों ने संकेत दिया कि इसके लिए सरकार संभवत: कोई सब्सिडी नहीं देगी।
सरकार ने मंगलवार को आम लोगों पर महंगाई के असर को कम करने और आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए सस्ते एलपीजी सिलेंडर के वादे का मुकाबला करने के लिए घरेलू रसोई गैस की कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की थी।
इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपये से घटकर 903 रुपये हो गई। उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए पहले से जारी प्रति सिलेंडर 200 रुपये की सब्सिडी को जोड़ने पर उनके लिए कीमत 703 रुपये होगी।
सरकार और उद्योग सूत्रों ने कहा कि सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने अप्रैल-जून तिमाही में बंपर कमाई की और उसके बाद भी यह सिलसिला जारी है।
इसके अलावा, घरेलू एलपीजी दरों को जिस कीमत पर तय किया जाता है, वह मार्च 2023 में 732 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटकर इस साल जुलाई में 385 अमेरिकी डॉलर रह गई।
उन्होंने कहा कि अगस्त में दरें बढ़कर 464 अमेरिकी डॉलर प्रति टन हो गई हैं, लेकिन फिर भी तेल कंपनियों के पास एलपीजी की कीमतों में कटौती करने की पर्याप्त गुंजाइश है।
तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को एक टेलीविजन चैनल से बातचीत कहा था कि तीन तेल विपणन कंपनियों ने ''अच्छे कॉरपोरट नागरिक'' के रूप में कीमतों में कटौती की और अप्रैल-जून तिमाही के ''बहुत अच्छे मुनाफे'' का लाभ दिया।
उन्होंने हालांकि सरकार के इस निर्णय के लिए सब्सिडी देने के बारे में पूछे गए सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया।
सूत्रों ने कहा कि कीमत में कटौती तेल कंपनियों के खाते में जाएगी और सरकार ने अब तक उन्हें सब्सिडी देने का संकेत नहीं दिया है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब मार्च/अप्रैल में सऊदी सीपी (एलपीजी अनुबंध मूल्य) में उछाल आया था, तो तीनों कंपनियों को घाटा हुआ। उन्होंने कहा कि इस नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हुई है।
उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि यदि कीमत में कटौती करने के लिए बेंचमार्क दर में कमी ही एकमात्र मानदंड था, तो यह कटौती जुलाई में जानी चाहिए थी। उन्होंने संकेत दिया कि यह फैसला राजनीतिक है।
पिछले कुछ वर्षों में रसोई गैस की कीमतें बढ़ी हैं और यह एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया है।
पाण्डेय रमण
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