चेन्नई, 21 दिसंबर चेन्नई में एक श्रद्धालु का आईफोन गलती से एक मंदिर के दानपात्र में गिर गया, जिसे लौटाने के अनुरोध को तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्त विभाग ने यह कहते हुए विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया कि वह अब मंदिर की संपत्ति बन गया है।
अपनी गलती का एहसास होने के तुरंत बाद दिनेश नामक श्रद्धालु ने तिरुपुरुर में स्थित श्री कंडास्वामी मंदिर के अधिकारियों से संपर्क करके अनुरोध किया कि दान करते समय अनजाने में दानपात्र में गिरा उसका फोन वापस किया जाए।
शुक्रवार को दानपात्र खोलने के बाद, मंदिर प्रशासन ने दिनेश से संपर्क किया और कहा कि फोन मिल गया है और उन्हें फोन का केवल डेटा प्रदान किया जा सकता है। हालांकि, दिनेश ने डेटा लेने से इनकार कर दिया और कहा कि उनका फोन उन्हें वापस किया जाए।
शनिवार को जब यह मामला हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्त मंत्री पी. के. शेखर बाबू के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने जवाब दिया, “जो कुछ भी दान पेटी में जमा किया जाता है, चाहे वह मनमर्जी से न दिया गया हो, भगवान के खाते में चला जाता है।”
बाबू ने यहां पत्रकारों से कहा, “मंदिरों की प्रथाओं और परंपराओं के अनुसार, हुंडी (दानपात्र) में चढ़ाया गया कोई भी चढ़ावा सीधे उस मंदिर के देवता के खाते में चला जाता है। नियमों के अनुसार श्रद्धालुओं को चढ़ावा वापस करने की अनुमति नहीं है।”
मंत्री ने यहां माधवरम में अरुलमिगु मरिअम्मन मंदिर के निर्माण कार्य और वेणुगोपाल नगर में अरुलमिगु कैलासनाथर मंदिर से संबंधित मंदिर के तालाब के जीर्णोद्धार का निरीक्षण करने के बाद कहा कि वह विभाग के अधिकारियों के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे कि क्या श्रद्धालु को मुआवजा देने की कोई संभावना है।
उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के बाद वह निर्णय लेंगे।
यह राज्य में ऐसी पहली घटना नहीं है। हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मई 2023 में केरल के अलप्पुझा की श्रद्धालु एस. संगीता की सोने की चेन अनजाने में पलानी के प्रसिद्ध श्री धनदायुथपानी स्वामी मंदिर के दानपात्र में गिर गई थी।
संगीता जब चढ़ावे के लिए अपने गले से तुलसी की माला उतार रही थीं, तो सोने की चेन दानपात्र में गिर गई थी। हालांकि, उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए और सीसीटीवी फुटेज से यह पुष्टि करने के बाद कि चेन दुर्घटनावश गिर गई थी, मंदिर न्यासी मंडल के अध्यक्ष ने अपने निजी खर्च पर उसी कीमत की एक नयी सोने की चेन खरीदकर श्रद्धालु को दे दी थी।
अधिकारी ने बताया कि हुंडी स्थापना, सुरक्षा और लेखा नियम, 1975 के अनुसार, हुंडी में चढ़ाया गया कोई भी चढ़ावा किसी भी समय मालिक को वापस नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह मंदिर का हो जाता है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)