जरुरी जानकारी | एमएसएमई के प्रति अधिक सहायक, सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं: स्वामीनाथन ने ऋणदाताओं से कहा
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मुंबई, 22 अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने वित्तीय संस्थानों से एमएसएमई के प्रति अधिक संवेदनशील तथा सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाने और ऋणों के लिए पुनर्गठन विकल्प जैसे सहायक उपाय अपनाने का आह्वान किया, ताकि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस क्षेत्र को समर्थन दिया जा सके।
भारतीय विदेशी मुद्रा डीलर संघ (एफईडीएआई) के वार्षिक दिवस पर यहां आयोजित कार्यक्रम में डिप्टी गवर्नर ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) को किफायती वित्त तक पहुंच, भुगतान में देरी, बुनियादी ढांचे की अड़चनें और अनुपालन की आवश्यकताओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
भारत के आर्थिक बदलाव की यात्रा एमएसएमई क्षेत्र के मजबूत विकास के बिना पूरी नहीं हो सकती।
उन्होंने बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘ एमएसएमई न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि वे वृद्धि, नवाचार तथा रोजगार का भी इंजन है।’’
स्वामीनाथन ने कहा कि इन उद्यमों को वास्तव में फलने-फूलने और आगे बढ़ने के लिए वित्तीय क्षेत्र को नवीन समाधान, संवेदनशीलता तथा दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा।
डिप्टी गवर्नर ने इस बात पर भी जोर दिया कि अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए वित्तीय क्षेत्र को उनके प्रति अधिक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ वित्तीय अनुशासन महत्वपूर्ण है...एमएसएमई के समक्ष आने वाली चुनौतियां जैसे कम पूंजी आधार, विलंबित भुगतान से नकदी प्रवाह की बाधाएं, अस्थिर बाजार स्थितियां तथा बाहरी आर्थिक दबाव, मूल्यांकन के साथ-साथ अनुवर्ती कार्रवाई के लिए अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण की जरूरत है। ’’
उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र लक्षित समर्थन तथा अनुरूप सेवाएं प्रदान करके एमएसएमई निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जो वैश्विक बाजार में इन व्यवसायों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करता है।
स्वामीनाथन ने एमएसएमई को वित्तपोषण में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर भी प्रकाश डाला।
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