देश की खबरें | किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने के मुद्दे पर शनिवार को हुई विशेष सुनवाई
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नयी दिल्ली, 28 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के मुद्दे पर शनिवार (28 दिसंबर) को अभूतपूर्व सुनवाई की।
डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की सुनवाई की और पंजाब सरकार को डल्लेवाल को बचाने के लिए उन्हें निकटवर्ती अस्पताल में ले जाने के वास्ते 31 दिसंबर तक का समय दिया।
सामान्यतः शीतकालीन अवकाश के दौरान उच्चतम न्यायालय में आपातकालीन मुद्दों पर तत्काल सुनवाई के लिए अवकाशकालीन पीठ नहीं होती है, साथ ही शनिवार को पीठ का विशेष सुनवाई करना सामान्य बात नहीं है।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसा देखा गया है कि शीर्ष अदालत ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, राजनीतिक संकट और राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण सहित विभिन्न मामलों की सुनवाई के लिए सप्ताहांत विशेष पीठों का गठन किया है।
उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों एवं अस्पतालों में एमबीबीएस छात्रों के दाखिले में अनियमितताओं से संबंधित मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा पारित एक आदेश पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद 27 जनवरी को (अवकाश के दिन) एक विशेष सुनवाई की।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और पश्चिम बंगाल सरकार तथा मूल याचिकाकर्ता को नोटिस भी जारी किये थे।
ऐसा कई मौकों पर हो चुका है, जब शीर्ष अदालत ने गैर-कार्य दिवस पर भी सुनवाई के लिए अपने दरवाजे खोले हैं।
पिछले साल एक जुलाई को शीर्ष अदालत ने 2002 के गोधरा कांड के बाद निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा का अनुरोध करने वाली कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर सुनवाई के लिए- एक के बाद एक- दो अलग-अलग पीठों का गठन किया था।
न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने उस वक्त शनिवार को देर रात की विशेष सुनवाई में सीतलवाड़ को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए समय नहीं देने पर सवाल उठाया था और कहा था कि एक सामान्य अपराधी भी एक प्रकार की अंतरिम राहत का हकदार है।
सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने पर दो न्यायाधीशों की अवकाशकालीन पीठ के फैसले में आम सहमति न बनने पर तीन न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष सुनवाई की थी।
वर्ष 2023 में भी शीर्ष अदालत ने एक अन्य मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और शनिवार को हुई सुनवाई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को यह तय करने के लिए कहा गया था कि एक कथित बलात्कार पीड़िता 'मांगलिक' है या नहीं।
भारतीय ज्योतिष परंपरा में मांगलिक 'दोष' (ग्रहों की स्थिति के कारण होने वाला दोष या असंतुलन) वाले व्यक्ति और गैर-मांगलिक व्यक्ति के बीच विवाह को अशुभ माना जाता है।
न्यायमूर्ति एम आर शाह (अब सेवानिवृत्त) और बेला एम. त्रिवेदी की एक विशेष पीठ शनिवार (15 अक्टूबर, 2022) को माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईंबाबा को आरोपमुक्त करने के बम्बई उच्च न्यायालय के फैसले को निलंबित करने के लिए बैठी थी।
इससे पहले, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 13 नवम्बर, 2021 (शनिवार) को की गयी सुनवाई में राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता को सामान्य स्तर तक लाने के लिए आपातकालीन उपाय के तौर पर दो दिन के ‘लॉकडाउन’ का प्रस्ताव दिया था।
शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने कई मौकों पर रविवार (अवकाश) को भी सुनवाई की है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता देवेन्द्र फडणवीस के शपथ ग्रहण के खिलाफ कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना की ओर से दायर एक अत्यावश्यक याचिका पर 24 नवंबर, 2019 (रविवार) को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की थी।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के पीछे एक बड़ी साजिश की जांच के लिए 20 अप्रैल, 2019 को एक विशेष सुनवाई की थी।
शीर्ष अदालत ने 2020 में एक रविवार को दिवंगत पत्रकार विनोद दुआ की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें उनके खिलाफ राजद्रोह के मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
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