जरुरी जानकारी | सरसों, चावल छिलका तेल के ऊंचे भाव से सोयाबीन डीगम की कीमतों में सुधार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. वायदा कारोबार में सरसों और चावल छिलका तेल की कीमतें ऊंची होने तथा कोविड-19 संक्रमण के प्रसार पर अंकुश के लिए लगाए गए लॉकडाउन में ढील के साथ देश में सस्ते खाद्य तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सोयाबीन डीगम तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

नयी दिल्ली, 21 जून वायदा कारोबार में सरसों और चावल छिलका तेल की कीमतें ऊंची होने तथा कोविड-19 संक्रमण के प्रसार पर अंकुश के लिए लगाए गए लॉकडाउन में ढील के साथ देश में सस्ते खाद्य तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सोयाबीन डीगम तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में होटल और रेस्तरां में जहां सस्ते तेल के रूप में कच्चे पामतेल (सीपीओ) की मांग है वहीं घरों में पामोलीन की जगह हल्के तेलों की मांग है जिससे सोयाबीन डीगम की कीमतों में सुधार आया। चावल छिलका तेल के भाव भी ऊंचे होने से भी सोयाबीन डीगम तेल में सुधार आया।

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कुछ दिनों पहले चावल छिलका तेल (राइस ब्रायन) की कीमत 8,000 रुपये प्रति क्विन्टल थी जो बढ़ककर 8,800 रुपये क्विन्टल हो गई है।

खाद्य तेलों की मांग बढ़ने से जहां सरसों दाना, सरसों दादरी, सोयाबीन, सीपीओ एवं पामोलीन (होटलों व रेस्तरां की मांग की वजह से), बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) तेल कीमतों में सुधार आया वहीं गुजरात में नई फसल की आवक के कारण मूंगफली, सोयाबीन दाना एवं लूज (तिलहन फसल) की कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले हानि दर्ज हुई।

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कारोबारियों का कहना है कि सरकार को आयातित तेलों और घरेलू तेलों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है ताकि घरेलू बाजार में किसानों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी मिलता रहे और उत्पादन और मांग के बीच के अंतर को फिलहाल आयात के जरिये पूरा किया जाता रहे। अन्यथा यदि सस्ता तेल ही देश में लगातार आयात होता रहेगा, तो घरेलू तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हर साल बढ़ाते रहने का कोई मतलब नहीं रहेगा।

मलेशिया ने एक जून से अपने जमा स्टॉक को खपाने के लिए निर्यात शुल्क को खत्म कर दिया जिससे अगले महीने सीपीओ और पामोलीन की आवक बढ़ने का अंदेशा है। ऐसे में सरकार को सीपीओ एवं पामोलीन तथा सोयाबीन डीगम पर आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में विचार करना चाहिये तभी देशी तिलहन उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा की जा सके और उन्हें प्रतिस्पर्धा का समान अवसर उपलब्ध कराया जा सके।

सस्ते तेलों का आयात बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों (तिलहन फसल), सरसों दादरी की कीमतें क्रमश: पांच रुपये और 30 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,680-4,705 रुपये और 9,880 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें पूर्व सप्ताहांत के स्तर क्रमश: 1,585-1,730 रुपये और 1,655-1,775 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।

गुजरात में मूंगफली की नई फसल के आने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात का भाव क्रमश: 25 रुपये और 120 रुपये की गिरावट दर्शाते क्रमश: 4,845-4,895 रुपये और 13,180 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 20 रुपये की हानि के साथ 1,960-2,010 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

बेहद साधारण मांग के कारण वनस्पति घी का भाव 995-1,100 रुपये प्रति टिन पर पूर्ववत रहा, जबकि तिल मिल डिलिवरी का भाव 500 रुपये की हानि दर्शाता 10,000-13,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

सरसों और चावल छिलका तेल के महंगा होने तथा हल्के तेलों की घरेलू मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतें क्रमश:250 रुपये, 200 रुपये और 200 रुपये का सुधार दर्शाती क्रमश: 9,100 रुपये, 8,950 रुपये और 8,020 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। दूसरी ओर सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन फसल) के भाव 125-125 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 3,865-3,890 रुपये और 3,665-3,690 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) तेल भी 200 रुपये के सुधार के साथ 7,950 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

लॉकडाउन में ढील के बाद रेस्तरां, खान-पान की छोटी दुकानों और होटलों की मांग बढ़ने से सीपीओ और पॉमोलीन तेलों में भी सुधार देखा गया। कच्चे पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन तेलों - आरबीडी दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतें क्रमश: 90 रुपये, 100 रुपये और 90 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,350 रुपये, 8,850 रुपये और 8,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।

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