देश की खबरें | एसकेएम ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च करने का आह्वान किया

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 जनवरी को देश भर में ‘ट्रैक्टर मार्च’ करने का रविवार को आह्वान किया और मांग की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के साथ उनकी लंबित मांगों पर चर्चा करें।

एसकेएम का यह आह्वान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है, जो गत 48 दिनों से आमरण अनशन पर हैं।

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा की खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।

एसकेएम ने यहां जारी एक बयान में घोषणा की कि एमएसपी और कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे (एनपीएफएएम) को खत्म करने सहित मांगों पर संयुक्त संघर्ष के लिए सोमवार को एक बैठक की जाएगी।

एसकेएम ने बयान में कहा, ‘‘एसकेएम ने किसानों से 26 जनवरी 2025 को 76वें गणतंत्र दिवस पर देश भर में जिला/उप-मंडल स्तर पर ट्रैक्टर/वाहन/मोटरसाइकिल परेड आयोजित करने का आह्वान किया है।’’

एसकेएम ने कहा, ‘‘किसान इस मांग को लेकर परेड करेंगे कि प्रधानमंत्री तुरंत किसानों के मुद्दों पर सभी किसान संगठनों के साथ चर्चा के लिए बैठक बुलाएं और जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाएं, किसान विरोधी, संघवाद विरोधी एनपीएफएएम को तुरंत वापस लें और कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ एमएसपी के लिए कानून बनाएं।’’

मांगों में किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना, बिजली का निजीकरण न करना, स्मार्ट मीटर न लगाना, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का प्रावधान और एलएआरआर (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार) अधिनियम, 2013 को लागू करना आदि शामिल हैं।

एसकेएम की सभी राज्य समन्वय समितियां (एससीसी) एनपीएफएएम की प्रतियां जलाकर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान करेंगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ‘‘एसकेएम किसान संगठनों के साथ चर्चा करने और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के जीवन की रक्षा करने के लिए तैयार नहीं होने को लेकर प्रधानमंत्री के असंवेदनशील रवैये की कड़ी निंदा करता है।’’

विभिन्न किसान संगठनों के साझा मंच एसकेएम ने रद्द किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। उसने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति तक किसान नेता के आमरण अनशन के 48वें दिन भी जारी रहने के बावजूद उनके जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं।

एसकेएम ने कहा, ‘‘यह मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अड़ियल रुख के कारण है, जो लोभी कॉरपोरेट ताकतों के समक्ष झुक गए हैं। ये ताकतें किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देने से इनकार करके और युवाओं के लिए उत्पादक रोजगार को नष्ट करके कृषि, उद्योग और सेवाओं पर अपना प्रभुत्व थोपने पर तुली हुई हैं।’’

एसकेएम ने कहा, ‘‘कॉरपोरेट समर्थक सुधारों की एक श्रृंखला के माध्यम से कॉरपोरेट हमले के कारण लोगों की आजीविका दांव पर है।’’

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