देश की खबरें | सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जे बी दरनाल को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए निलंबित किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने शनिवार को अपने नेता जे बी दरनाल को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए निलंबित कर दिया। दरनाल ने कुछ दिन पहले ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकएम) के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से याचिका वापस ली थी।
गंगटोक, 30 नवंबर विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने शनिवार को अपने नेता जे बी दरनाल को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के लिए निलंबित कर दिया। दरनाल ने कुछ दिन पहले ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकएम) के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से याचिका वापस ली थी।
एसडीएफ के उपाध्यक्ष (प्रशासनिक एवं कानूनी मामले) देव गुरुंग ने एक बयान में कहा कि पार्टी ने अगले नोटिस तक तत्काल प्रभाव से उनकी प्राथमिक सदस्यता निलंबित करने का फैसला किया है।
इसमें कहा गया, “प्रारंभिक जांच के दौरान यह पाया गया है कि दरनाल ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय से रिट याचिका वापस लेकर पार्टी-विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई है।”
याचिका में निर्वाचन आयोग द्वारा 2019 में तमांग की अयोग्यता अवधि को छह वर्ष से घटाकर एक वर्ष करने को चुनौती दी गई थी।
अयोग्यता अवधि में लगभग पांच वर्ष की कमी होने से तमांग को उस वर्ष चुनाव लड़ने में मदद मिली और वह हिमालयी राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री बन गए। इससे पहले एसकेएम ने एसडीएफ को सत्ता से उखाड़ फेंका था।
एसडीएफ के दो नेताओं ने निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने हाल ही में शीर्ष अदालत से मामला वापस लेने का आग्रह किया था और उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली गई थी।
गुरुंग ने पहले कहा था कि याचिकाकर्ताओं में से एक बिमल दवारी शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और अब वह एसडीएफ के सदस्य नहीं हैं, जबकि एसडीएफ के उपाध्यक्ष जे बी दरनाल ने पार्टी से परामर्श किए बिना याचिका वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया है।
गुरुंग ने कहा कि पार्टी ने न तो याचिका वापस लेने के लिए कोई प्रस्ताव पारित किया है और न ही दरनाल को मामला वापस लेने के लिए अधिकृत किया है।
इस संबंध में एक अन्य याचिका, हालांकि, अब भी न्यायालय में लंबित है।
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