देश की खबरें | शिवसेना का उद्धव नीत धड़ा सात सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई का अनुरोध करेगा
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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट संबंधी मामलों को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजे जाने का अनुरोध करेगा, ताकि वह अयोग्यता संबंधी याचिकाओं के निपटारे के लिए विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों से जुड़े 2016 के फैसले पर फिर से विचार करे।
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2016 में नबाम रेबिया मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिये पहले दिये गए नोटिस पर सदन में निर्णय लंबित है, तो अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकता।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के बागी विधायकों के लिए यह निर्णय विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि सीताराम जिरवाल को हटाने संबंधी नोटिस लंबित होने के आधार पर शीर्ष अदालत में लाभकारी साबित हुआ।
ठाकरे धड़े की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने शिवसेना में फूट के बाद महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट संबंधी याचिकाओं के समूह पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ से कहा कि वह मामले को 2016 के नबाम रेबिया मामले में फैसले पर फिर से गौर करने के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजने का अनुरोध करेंगे।
महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह चुनाव पूर्व गठबंधन सहित व्यापक मुद्दों पर एक टिप्पणी भी दाखिल करना चाहेंगे।
न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी इस पीठ में शामिल थे।
पीठ ने इसके बाद याचिका पर निर्देश जारी करने के लिए 10 जनवरी की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि वह ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के गुटों द्वारा महाराष्ट्र राजनीतिक प्रकरण को लेकर दायर याचिकाओं पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगी।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने गत 23 अगस्त को कानून संबंधी कई प्रश्न तैयार किए थे और याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया था, जिनमें दलबदल, विलय और अयोग्यता से संबंधित कई संवैधानिक सवाल उठाए थे।
पीठ महाराष्ट्र में हाल के राजनीतिक संकट से जुड़े लंबित मामलों की सुनवाई कर रही है, जिसके कारण राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी।
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