देश की खबरें | लोगों के अधिकारों का हनन करने वाले प्रतिबंध संविधान के विरुद्ध हैं: अटॉर्नी जनरल

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने मंगलवार को कहा कि लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता का दमन करने वाले या उनके साथ भेदभाव करने वाले प्रतिबंध “चिरस्थायी” संविधान के लिए अभिशाप हैं।

नयी दिल्ली, 26 नवंबर अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने मंगलवार को कहा कि लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता का दमन करने वाले या उनके साथ भेदभाव करने वाले प्रतिबंध “चिरस्थायी” संविधान के लिए अभिशाप हैं।

वह उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोजित ‘संविधान दिवस समारोह’ में बोल रहे थे।

वेंकटरमणी ने कहा, “हम भारत के लोगों का कर्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि संविधान कायम रहे और केवल एक चिरस्थायी संविधान ही व्यवस्थित स्वतंत्रता की पटकथा लिख ​​सकता है।”

उन्होंने कहा, “अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उल्लंघन या अधिकारों और स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध, जो उन्हें दबाते हैं या भेदभाव करते हैं, एक स्थायी संविधान के लिए अभिशाप हैं।”

एजी ने कहा कि संविधान का स्थायित्व जनता, शासन संस्थाओं और न्याय संस्थाओं के बीच “पवित्र गठबंधन” के कारण है।

उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे का कर्तव्य इस गठबंधन की सेवा करना है।

वेंकटरमणी ने इस बात को रेखांकित किया कि संविधान दिवस समीक्षा का दिन है तथा यह भविष्य की रूपरेखा पर विचार करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि सभी नागरिक “भारत के महान और शाश्वत मूल्यों के संरक्षक होने के नाते” संविधान के भी संरक्षक हैं।

उन्होंने कहा, “हालांकि, सवाल हमेशा यही रहेगा कि हम संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका के प्रति कितने वफादार हैं? हम उन सामाजिक खाइयों को पाटने और कम करने में कितने समर्थ हैं जिनके लिए उच्च स्तर के संकल्पों की आवश्यकता है...? हम कितनी समझदारी से व्यर्थ और विकृत सामाजिक वार्तालापों से बचने के लिए इच्छुक हैं, जो हमारे सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकते हैं?”

वेंकटरमणी ने कहा, “ये सभी प्रश्न संविधान के संरक्षक होने के नाते हैं।”

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\