जरुरी जानकारी | खुदरा मुद्रास्फीति छह महीने के उच्चतम स्तर 6.3 प्रतिशत पर, थोक महंगाई दर भी रिकार्ड स्तर पर पहुंची
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नयी दिल्ली, 14 जून खाद्य तेल, फल, अंडा जैसे खाद्य पदार्थ के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति मई में बढ़कर छह महीने के उच्चतम स्तर 6.3 प्रतिशत पहुंच गयी।
महंगाई की यह दर भारतीय रिजर्व बैंक के लिए सहज स्तर से ऊंची है। ऐसे में निकट भविष्य में नीतिगत दर में कटौती मुश्किल है । आरबीआई मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।
सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत खने की जिम्मेदारी दी हुई है।
थोक कीमत सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी मई में बढ़कर 12.94 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इसका कारण कच्चा तेल, विनिर्मित वस्तुओं के दाम में तेजी और पिछले साल कोविड-19 ‘लॉकडाउन’ के कारण तुलनात्मक आधार का कमजोर होना है।
सोमवार को जारी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.23 प्रतिशत थी जो मई में बढ़कर छह महीने के उच्च स्तर 6.3 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही। यह पिछले महीने के 1.96 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
इससे पहले, नवंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति की उच्चतम दर 6.93 प्रतिशत रही थी।
मई 2020 में थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे 3.7 प्रतिशत थी। जबकि अप्रैल 2021 में यह दहाई अंक 10.49 प्रतिशत पहुंच गयी। यह लगातार पांचवां महीना है जब थोक महंगाई दर बढ़ी है।
आंकड़े के अनुसार खुदरा महंगाई दर में तेल और वसा खंड में सर्वाधिक तेजी से मूल्य वृद्धि हुई और सालाना आधार पर यह बढ़कर 30.84 प्रतिशत पहुंच गयी।
मांस और मछली, अंडा, फल तथा दलहन एवं उसके उत्पादों के मूल्य में वार्षिक आधार पर क्रमश: 9.03 प्रतिशत, 15.16 प्रतिशत, 11.89 प्रतिशत और 9.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ईंधन और बिजली की श्रेणी में महंगाई दर बढ़कर 11.58 प्रतिशत पहुंच गयी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में तेजी के साथ ईंधन और बिजली खंड में थोक महंगाई दर बढ़कर मई में 37.61 प्रतिशत पहुंच गयी जो अप्रैल में 20.94 प्रतिशत थी।
विनिर्मित उत्पादों के मामले में थोक मुद्रास्फीति मई में 10.8 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने 9.01 प्रतिशत थी।
हालांकि खाद्य वस्तुओं के मामले में थोक मुद्रास्फीति मई में मामूली घटकर 4.31 प्रतिशत रही। जबकि प्याज के दाम में तेजी रही।
प्याज के दाम में वृद्धि मई में 23.24 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में इसमें 19.72 प्रतिशत की कमी आयी थी।
खुदरा मुद्रास्फीति के बारे में इक्रा लि. की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि महंगाई दर छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है। अप्रैल के मुकाबले इसमें 2.07 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये औसत खुदरा महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर कम-से-कम 5.4 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि हमारा मानना है कि आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर अनिश्चितताओं को देखते हुए अगर महंगाई दर 5.5 से 6 प्रतिशत के बीच भी रहती है तो मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सहनशीलता दिखाएगी।
नायर ने कहा, ‘‘इसीलिए, हम रेपो दर के मामले में यथास्थिति और उदार रुख जारी रहने की उम्मीद कर रहे हैं।’’
खाद्य तेल की कीमतों के बारे में खाद्य तेल निर्माताओं और व्यापारियों का शीर्ष संगठन, सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के अध्यक्ष सुरेश नागपाल ने कहा कि वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण मई में खाद्य तेल की कीमतें अधिक रही।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि इस महीने से थोक बाजार में खाद्य तेल के दाम में नरमी आने लगी है। खुदरा बाजार में इसका जल्द दिखेगा। जून आर जुलाई की मुद्रास्फीति के आंकड़े में इसका असर दिखना चाहिए।’’
डीबीएस सिंगापुर की अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष राधिका राव ने कहा कि कुछ खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति दबाव स्पष्ट है। खुदरा ईंधन की कीमतों में लगातार वृद्धि के साथ मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) भी बढ़कर 6.6 प्रतिशत हो गयी है।
थोक महंगाई दर के बारे में उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि ईंधन की ऊंची लागत से उद्योग के लिये कच्चे माल की लागत बढ़ रही है। इससे घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मौके पर हम, सरकार से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी (माल एवं सेवा कर) के दायरे में लाने का आग्रह करते हैं ताकि कीमतें युक्तिसंगत हो और बढ़ती महंगाई दर को काबू में लाया जा सके।’’
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