देश की खबरें | भारत में हाथ प्रतिरोपण के इच्छुक मरीजों के लिए पंजीकरण शुरू

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारत ने हाथ प्रतिरोपण की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए पहली बार एक ‘रजिस्ट्री’ स्थापित की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, इससे पारदर्शी तरीके से और प्राथमिकता के आधार पर दान किए गए अंग जरूरतमंद मरीजों में प्रतिरोपित किए जा सकेंगे।

नयी दिल्ली, आठ सितंबर भारत ने हाथ प्रतिरोपण की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए पहली बार एक ‘रजिस्ट्री’ स्थापित की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, इससे पारदर्शी तरीके से और प्राथमिकता के आधार पर दान किए गए अंग जरूरतमंद मरीजों में प्रतिरोपित किए जा सकेंगे।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय रजिस्ट्री में पंजीकरण कराया जा सकेगा, जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आता है।

केरल के कोच्चि स्थित अमृता हॉस्पिटल्स एंड स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी तथा सिर एवं गर्दन शल्यचिकित्सा के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. सुब्रमण्यम अय्यर ने कहा, ‘‘रजिस्ट्री की स्थापना तथा प्राथमिकता के आधार पर पूरे भारत में हाथों का आवंटन करने से दान को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही दान किए गए हाथों का उचित उपयोग भी होगा।’’

डॉ. अय्यर ने 2015 में भारत में पहला हाथ प्रतिरोपण करने वाली टीम का नेतृत्व किया था।

एनओटीटीओ के निदेशक अनिल कुमार ने हाल ही में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर रजिस्ट्री के बारे में जानकारी दी और अनुपालन के लिए सभी हाथ प्रतिरोपण केंद्रों और अस्पतालों तक इसकी जानकारी पहुंचाने को कहा।

डॉ. कुमार ने कहा कि हाथ प्रतिरोपण बढ़ रहा है और अधिकाधिक केन्द्रों में हाथ प्रतिरोपण किया जा रहा है।

एनओटीटीओ द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में देश में हाथ प्रतिरोपण के लिए नौ अस्पताल पंजीकृत हैं, जिनमें अब तक 36 मरीजों को हाथ मिले हैं और कुल 67 हाथ प्रतिरोपित किए गए है।

डॉ. अय्यर ने कहा कि आमतौर पर अंग दान ‘ब्रेन डेथ’के बाद किया जाता है, लेकिन हाथ दान ‘ब्रेन डेथ’ के साथ-साथ हृदय के काम करना बंद करने से मौत के बाद भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हृदयाघात से मृत्यु की स्थिति में, हृदय के काम करना बंद करने के आधे घंटे के भीतर हाथ दान कर दिए जाने चाहिए और यह कार्य अस्पताल के भीतर नियंत्रित वातावरण में किया जाना चाहिए।

अय्यर ने कहा कि हाथ ‘कंपोजिट टिशू’ की श्रेणी में आते हैं और अब जागरूकता बढ़ने के कारण अधिक से अधिक मरीज हाथ प्रतिरोपण की मांग कर रहे हैं तथा अधिक संख्या में दान हो रहे हैं, इसलिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

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