नयी दिल्ली, पांच अगस्त आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा से एक दिन पहले विशेषज्ञों ने कहा है कि केंद्रीय बैंक बृहस्पतिवार को नीतिगत दर में कटौती से बच सकता है लेकिन कोरोनो वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार की जरूरत के बीच कर्ज पुनर्गठन जैसे अन्य उपायों की घोषणा कर सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) छह अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगी। यह एमपीसी की 24वीं बैठक है।
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हालांकि नीतिगत दर में कटौती को लेकर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय कोविड-19 के प्रभाव से निपटने के लिये कर्ज पुनर्गठन ज्यादा जरूरी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘‘हमारा ध्यान पुनर्गठन पर है। वित्त मंत्रालय आरबीआई के इस बारे में बातचीत कर रहा है...।’’
इसके अलावा केंद्रीय बैंक कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत के संदर्भ में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त होने जा रही है। बैंक अधिकारी इसके दुरूपयोग की आशंका को लेकर इसकी मियाद बढ़ाये जाने का विरोध कर रहे हैं।
कोविड-19 संकट के बीच तेजी से बदलते वृहत आर्थिक परिवेश और वृद्धि परिदृश्य के कमजोर होने के साथ एमपीसी की बैठक समय से पहले दो बार हो चुकी है। पहली बैठक मार्च में और उसके बाद मई, 2020 में दूसरी बैठक हुई।
एमपीसी ने दोनों बैठकों में रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर में प्रतिशत कुल मिला कर 1.15 अंक की कटौती की। इससे आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये कुल मिलाकर नीतिगत दर में फरवरी, 2019 के बाद प्रतिशत 2.50 अंक की कटौती हो चुकी है।
केंद्रीय बैंक महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से अर्थव्यवस्था को नुकसान कम करने के लिये सक्रियता से कदम उठाता रहा है।
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने नये कर्ज पर ब्याज दर में प्रतिशत 0.72 अंक की कटौती की है। यह बताता है कि नीतिगत दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को ब्याज दर में कटौती के जरिये तेजी से दिया गया।
एसबीआई ने रेपो से संबद्ध खुदरा कर्ज पर ब्याज में 1.15 अंक की कटौती की है।
कोटक महिंद्रा बैंक की समूह अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शांति एकामबरम ने कहा कि ब्याज दर में कटौती का मांग या वृद्धि को गति देने में बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट कंपनियों और ग्राहकों दोनों को प्रभावित कर रहा है। अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई है।
एकामबरम ने कहा, ‘‘नीतिगत दर में पहले की गयी कटौती और मुद्रास्फीति के अभी भी 6 प्रतिशत से ऊपर होने को देखते हुए एमपीसी देखो और इंतजार करो की नीति अपना सकती है तथा अगस्त में यथास्थिति बरकरार रख सकती है...।’’
सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर कायम रखने की जिम्मेदारी दी है। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर को ध्यान में रखता है।
मांस, अनाज और दाल जैसे खाद्य वस्तुओं के ऊंचे दाम से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 6.09 प्रतिशत रही।
विशेषज्ञों की राय है कि एमपीसी तेजी से बदलते वृहत आर्थिक परिवेश को देखते हुए मौद्रिक नीति के मोर्चे पर नरम रुख बरकरार रखेगा।
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