राजनाथ सिंह की गांधी-सावरकर संबंधी टिप्पणी को लेकर रमेश और ओवैसी ने उन पर निशाना साधा
विपक्ष के कुछ नेताओं ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा महात्मा गांधी और वीर सावरकर के संदर्भ में की गई एक टिप्पणी को लेकर बुधवार को उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह ‘इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं.’ सिंह ने मंगलवार को कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर वीर सावरकर ने अंग्रेजी शासन को दया याचिकाएं दी थीं.
नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर : विपक्ष के कुछ नेताओं ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा महात्मा गांधी और वीर सावरकर के संदर्भ में की गई एक टिप्पणी को लेकर बुधवार को उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह ‘इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं.’ सिंह ने मंगलवार को कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर वीर सावरकर ने अंग्रेजी शासन को दया याचिकाएं दी थीं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने महात्मा गांधी द्वारा से 25 जून, 1920 को सावरकर के भाई को एक मामले में लिखे गए पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा की और आरोप लगाया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह गांधी द्वारा लिखी गई बात को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं.
रमेश ने कहा, ‘‘राजनाथ सिंह जी मोदी सरकार की कुछ गंभीर और शालीन लोगों में से एक हैं. परंतु लगता है कि वह भी इतिहास के पुनर्लेखन की आरएसएस की आदत से मुक्त नहीं हो सके हैं. उन्होंने महात्मा गांधी ने 25 जनवरी, 1920 को जो लिखा था, उसे अलग रूप से पेश किया है.’’ओवैसी ने कहा कि सावरकर की ओर से पहली दया याचिका 1911 में जेल जाने के छह महीनों बाद दी गई थी और उस समय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे. इसके बाद सावरकर ने 1913-14 में दया याचिका दी. भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने सावरकर का बचाव करते हुए ट्वीट कर कहा, ‘‘कांग्रेस सावरकर जी का विरोध करती है जो ब्रिटिश प्रशासन के साथ कभी नहीं जुड़े और मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान का उदाहरण प्रस्तुत किया. बहरहाल, कुछ लोग माउंटबेटन के घर पर नियमित रूप से रात्रिभोज करते थे.’’ भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने सावरकर के बारे में गांधी की एक टिप्पणी को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘वह बहुत समझदार हैं. वह बहादुर हैं, वह देशभक्त हैं. मौजूदा सरकार में निहित बुराई को उन्होंने मुझसे पहले देख लिया था. यह भी पढ़ें : Uttarakhand: उत्तराखंड में आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील 83 गांवों के 1447 परिवारों का पुनर्वास
वह भारत से बहुत प्रेम करने के कारण अंडमान में हैं. वह सरकार में वह बड़े पद पर आसीन रहे होते.’’ राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा था कि राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद-प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है. राजनाथ सिंह ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ‘‘वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन’’ के विमोचन कार्यक्रम में यह बात कही . उन्होंने यह भी कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका दी थी .