ताजा खबरें | राज्यसभा: मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही दो बजे तक स्थगित
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. मणिपुर में करीब दो महीने से जारी जातीय हिंसा पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
नयी दिल्ली, 20 जुलाई मणिपुर में करीब दो महीने से जारी जातीय हिंसा पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को राज्यभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दोपहर 12 बजे जैसे ही दोबारा सदन की बैठक आरंभ हुई सभापति जगदीप धनखड़ ने विभिन्न मुद्दों पर अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 176 के तहत 12 नोटिस मिले हैं और इनमें से आठ नोटिस मणिपुर हिंसा से संबंधित हैं।
इसी दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मणिपुर पर चर्चा को तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस नोटिस को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।’’
इस पर धनखड़ ने कहा कि चूंकि सरकार ने आगे आकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने की सहमति जताई है इसलिए चर्चा कराई जा सकती है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस दौरान हंगामा आरंभ कर दिया और नियम 176 के तहत चर्चा कराए जाने पर आपत्ति जताई।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि सदस्यों ने नियम 267 के तहत भी इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस के सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं, जिसमें सारे कामकाज स्थगित कर चर्चा कराने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) को सदन में आना चाहिए और इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए और फिर चर्चा की जानी चाहिए।
इस पर सभापति ने कहा कि कार्यसूची में नियम 267 के तहत मिले नोटिस अगले विषय हैं।
इसी दौरान ओ’ब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नियम पुस्तिका में नियम 267 बिल्कुल स्पष्ट है जो कहता है कि जब तक इसके तहत उठाए गए मुद्दे पर चर्चा नहीं होती है, दूसरे किसी अन्य विषय को नहीं स्वीकार किया जा सकता।
उन्होंने नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को सदन में आकर अपना मुंह खोलना होगा...मणिपुर, मणिपुर, मणिपुर। कहां हैं, देश के प्रधानमंत्री...सदन में आएं और मणिपुर पर बोलें।’’
इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने अपने अपने स्थान पर खड़े होकर हंगामा शुरू कर दिया।
धनखड़ ने कहा कि सरकार नियम 176 के तहत चर्चा को तैयार है, इसलिए वह सदन के नेता बातचीत कर चर्चा करेंगे और फिर उसके अनुरूप निर्णय लेंगे।
हंगामे के बीच, धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजकर 12 बजे दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
गौरतलब है कि मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की कथित घटना का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं।
‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के एक प्रवक्ता के मुताबिक, ‘घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं तथा उनसे मिन्नतें कर रही हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ज्ञात हो कि मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है। इस मुद्दे पर पहली बार प्रधानमंत्री ने कोई टिप्पणी की है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है।
मानसून सत्र के पहले दिन आज जैसे ही सुबह राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ हुई तो सबसे पहले दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई और फिर दोपहर 12 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
सभापति धनखड़ ने उच्च सदन के मौजूदा सदस्य हरद्वार दुबे और तीन पूर्व सदस्यों दावा लामा, ऊषा मल्होत्रा और एस रामचंद्र रेड्डी के निधन का उल्लेख किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हरद्वार दुबे 74 वर्ष के थे। नवंबर 2020 में उच्च सदन के लिए चुने गए दुबे का इसी साल 26 जून को निधन हो गया था।
धनखड़ ने कहा, ‘‘वह अपना कार्यकाल मुश्किल से आधा ही कर पाए थे।’’ उन्होंने कहा कि दुबे के साथ उनका निजी रिश्ता था।
उन्होंने कहा कि दुबे पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद सजग थे और वन्यजीवों व प्राकृतिक विरासत की सुरक्षा के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता थी। उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा के दौरान उनकी भागीदारी में यह परिलक्षित भी होता था।
सभापति ने कहा, ‘‘हरद्वार दुबे के निधन से देश ने एक योग्य प्रशासक, समर्पित पर्यावरणविद् और प्रतिबद्ध सांसद खो दिया है।’’
उन्होंने तीन पूर्व सदस्यों दावा लामा, ऊषा मल्होत्रा और एस रामचंद्र रेड्डी के निधन का भी उल्लेख किया।
इसके बाद पूरे सदन ने कुछ देर मौन रहकर दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात धनखड़ ने कहा कि दिवंगत सदस्यों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है।
संसद के मानसून सत्र का आज पहला दिन है। इस सत्र का समापन 11 अगस्त को प्रस्तावित है। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठक होनी हैं।
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