विदेश की खबरें | पुतिन ब्रिक्स की मेजबानी से रूस की अहमियत साबित करने का प्रयास करेंगे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. ये सभी नेता ‘ब्रिक्स’ समूह के शिखर सम्मेलन के लिए मंगलवार को रूस के शहर कजान में होंगे और इसी के साथ यूक्रेन में जारी युद्ध एवं पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट की वजह से रूस के राष्ट्रपति के अलग-थलग पड़ने की संभावनाएं खारिज हो जाएंगी।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

ये सभी नेता ‘ब्रिक्स’ समूह के शिखर सम्मेलन के लिए मंगलवार को रूस के शहर कजान में होंगे और इसी के साथ यूक्रेन में जारी युद्ध एवं पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट की वजह से रूस के राष्ट्रपति के अलग-थलग पड़ने की संभावनाएं खारिज हो जाएंगी।

विकासशील देशों के समूह ‘ब्रिक्स’ का उद्देश्य पश्चिमी नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था को संतुलित करना है। शुरुआत में इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे लेकिन इस साल इसका तेजी से विस्तार हुआ। ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जनवरी में इसमें शामिल हुए। तुर्किये, अजरबैजान और मलेशिया ने इसमें शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन किया है तथा कई अन्य देशों ने सदस्य बनने की इच्छा व्यक्त की है।

रूसी अधिकारी इसे पहले से ही एक बड़ी सफलता के रूप में देख रहे हैं। पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने कहा कि 32 देशों ने भागीदारी की पुष्टि की है और 20 से अधिक देश इसमें अपने शासन प्रमुखों को भेजेंगे।

उशाकोव ने कहा कि पुतिन लगभग 20 द्विपक्षीय बैठकें करेंगे और यह शिखर सम्मेलन रूसी धरती पर ‘‘अब तक का सबसे बड़ा विदेश नीति कार्यक्रम’’ बन सकता है।

विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिम के साथ जारी तनाव के बीच इस सम्मेलन के जरिए रूस यह दिखाने की कोशिश करेगा कि वह अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। इसके साथ ही वह रूस की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और उसके युद्ध प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए उनके साथ समझौते भी करना चाहेगा। सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य देशों के लिए यह अपनी बात रखने का एक मौका होगा।

‘कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर’ के निदेशक अलेक्जेंडर गबुयेव ने कहा, ‘‘ब्रिक्स की खूबसूरती यह है कि यह आप पर बहुत अधिक दायित्व नहीं डालता है।’’

गबुयेव ने कहा कि पुतिन के लिए यह शिखर सम्मेलन व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें अलग-थलग करने के पश्चिमी प्रयासों की विफलता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन देश और विदेश में यह प्रदर्शित करेगा कि ‘‘रूस वास्तव में एक अहम खिलाड़ी है जो ऐसे नए समूह का नेतृत्व कर रहा है जो पश्चिमी प्रभुत्व को समाप्त करेगा।’’

गबुयेव ने कहा कि रूस, भारत और चीन जैसे अहम देशों के साथ व्यापार बढ़ाने और पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के बारे में बात करेगा। उन्होंने कहा कि भारत रूसी वस्तुओं के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है।

रूस यह भी चाहता है कि अधिक से अधिक देश ऐसी भुगतान प्रणाली परियोजना में शामिल हों जो वैश्विक बैंक मैसेजिंग नेटवर्क ‘स्विफ्ट’ का विकल्प हो ताकि मॉस्को प्रतिबंधों की चिंता किए बिना अपने भागीदारों के साथ व्यापार कर सके।

भारत के पश्चिमी मित्र चाहते हैं कि भारत मॉस्को को युद्ध समाप्त करने के लिए मनाने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाए जबकि मोदी ने शांतिपूर्ण समाधान पर जोर देते हुए रूस की निंदा करने से परहेज किया है।

भारत रूस को शीत युद्ध के दौरान का ऐसा परखा हुए साझेदार मानता है, जो भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों के बावजूद रक्षा, तेल, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग करता रहा है।

मोदी और पुतिन की यह कुछ महीनों में दूसरी बैठक होगी। मोदी जुलाई में रूस गए थे, उन्होंने अगस्त में यूक्रेन जाकर उसके राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी और सितंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलने अमेरिका गए थे।

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