चंडीगढ़, एक अप्रैल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को हस्तांतरित करने की मांग करते हुए शुक्रवार को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के साथ ही साझा संपत्तियों में संतुलन बिगाड़ने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
विधानसभा का यह एक दिवसीय विशेष सत्र केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उस घोषणा के परिप्रेक्ष्य में आहूत किया गया जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय सेवा नियम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर भी लागू होंगे। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है।
सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए मान ने केंद्र से संविधान में प्रदत्त संघवाद के सिद्धांतों का सम्मान करने और ऐसा कोई कदम न उठाने के लिए कहा, जिससे चंडीगढ़ का प्रशासन और साथ ही अन्य साझा संपत्तियों का संतुलन बिगड़ता हो।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘पंजाब पुनर्गठन कानून, 1966 के जरिये पंजाब का पुनर्गठन किया गया, जिसमें पंजाब राज्य का हरियाणा राज्य, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में पुनर्गठन किया गया और पंजाब के कुछ हिस्से तत्कालीन केंद्र शासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश को दे दिए गए।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘तब से पंजाब और हरियाणा राज्य के उम्मीदवारों को कुछ अनुपात में प्रबंधन पदों को देकर साझा संपत्तियों जैसे कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के प्रशासन, में संतुलन रखा गया। हाल के अपने कई कदमों से केंद्र सरकार इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।’’
प्रस्ताव के अनुसार, केंद्र सरकार ने बीबीएमबी के सदस्यों के पद का विज्ञापन सभी राज्यों और केंद्र सरकार के अधिकारियों के लिए खोला, जबकि इन पदों पर पारंपरिक रूप से पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों की भर्ती होती है। इसी तरह चंडीगढ़ का प्रशासन हमेशा पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों ने 60:40 के अनुपात में किया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘बहरहाल, हाल में केंद्र सरकार ने बाहर के अधिकारियों को चंडीगढ़ में तैनात किया और चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा नियम लागू किए जो पूर्व में बनी सहमति के बिल्कुल खिलाफ है। चंडीगढ़ शहर को पंजाब की राजधानी के तौर पर बनाया गया। पूर्व में जब भी किसी राज्य को विभाजित किया गया तो राजधानी मूल राज्य के पास रही है। इसलिए पंजाब चंडीगढ़ को पूरी तरह पंजाब को हस्तांतरित करने के लिए अपना दावा पेश कर रहा है।’’
मान ने कहा कि पहले भी इस सदन में चंडीगढ़ को पंजाब को हस्तांतरित करने का केंद्र सरकार से अनुरोध करते हुए कई प्रस्ताव पारित हुए हैं।
सदन में मुख्यमंत्री मान द्वारा लाये गये प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘सौहार्द बनाए रखने और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह सदन एक बार फिर चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब को हस्तांतरित करने के मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की सिफारिश करता है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘यह सदन केंद्र सरकार से भी हमारे संविधान में प्रदत्त संघवाद के सिद्धांतों का सम्मान करने और ऐसा कोई कदम न उठाने का अनुरोध करता है जिससे चंडीगढ़ का प्रशासन और बीबीएमबी जैसी उसकी साझा संपत्तियों का संतुलन बिगड़ता हो।’’
इससे पहले, सत्र शुरू होने के बाद कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह और उनके बेटे एवं निर्दलीय विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने पद की शपथ ली। इसके बाद सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी।
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