अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विपरीत होगा ‘हंसमुख’ पर रोक लगाना : नेटफ्लिक्स ने अदालत से कहा
याचिका में सीरीज के प्रसारण पर रोक लगाने या खासकर चौथी कड़ी से उसके कुछ दृश्यों को हटाने की मांग की गई है। उच्चतम न्यायालय के एक वकील ने याचिका दायर कर दावा किया है कि इस वेब सीरीज ने वकीलों की छवि एवं प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।
नयी दिल्ली, 27 अप्रैल ऑनलाइन मीडिया स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ‘नेटफ्लिक्स’ ने ‘हंसमुख’ वेब सीरीज के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका का दिल्ली उच्च न्यायालय में विरोध करते हुए कहा है कि इस प्रकार का कोई भी आदेश संविधान में प्रदत्त बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विपरीत होगा।
याचिका में सीरीज के प्रसारण पर रोक लगाने या खासकर चौथी कड़ी से उसके कुछ दृश्यों को हटाने की मांग की गई है। उच्चतम न्यायालय के एक वकील ने याचिका दायर कर दावा किया है कि इस वेब सीरीज ने वकीलों की छवि एवं प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।
अदालत ने नेटफ्लिक्स और वेब सीरीज के निर्माताओं एवं निर्देशकों को वकील आशुतोष दुबे की इस याचिका पर अपना रुख बताने को कहा था।
अदालत ने कहा था कि वेबसीरीज के प्रसारण पर अंतरिम रोक लगाने के अनुरोध पर आदेश बाद में सुनाया जायेगा।
नेटफ्लिक्स ने अदालत में पेश किए गए अपने लिखित जवाब में दावा किया है कि कई फैसलों में कहा गया है कि एक वर्ग के रूप में वकीलों को प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती।
उसने कहा कि यदि इस मामले में रोक लगाने की अनुमति दी जाती है तो इससे ‘‘चार्टर्ड अकाउंटेंटों, इंजीनियरों, चिकित्सकों, आईएएस अधिकारियों, पुलिसकर्मियों समेत लोगों के उन तथाकथित वर्गों’’ द्वारा दायर मानहानि के मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी, ‘‘जो उनके वर्ग के किसी भी सिनेमाई या मंचीय चित्रण से सहमत नहीं हैं’’।
नेटफ्लिक्स ने दावा किया कि इस कार्यक्रम में मुख्य कलाकार हर कड़ी में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के उन पेशेवरों की हत्या करता है, जिन्होंने कुछ गलत किया होता है और इसके बाद वह इस प्रकार के लोगों पर स्टैंड-अप प्रस्तुति देता है।
उसने कहा कि इस सीरीज की विषय-वस्तु यह स्पष्ट करती है कि इसका इरादा किसी विशेष पेशे को बदनाम करना नहीं है।
नेटफ्लिक्स की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल और वकील श्रीकृष्ण राजागोपाल ने कहा कि नेटफ्लिक्स या वेब सीरीज का मकसद वकील समुदाय या कानूनी पेशे का अपमान करना नहीं है।
याचिका में वेबसीरीज के निर्माताओं, निर्देशकों और लेखक को ‘‘वकील समुदाय, जिसमें न्यायाधीश भी शामिल हैं जो कभी वकील रह चुके हैं, की छवि खराब करने के लिए बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश देने का अदालत से अनुरोध’’ किया गया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वेबसीरीज की चौथी कड़ी में वकीलों को कथित तौर पर चोर, दुर्जन, गुंडा और बलात्कारी के रूप में दिखाया गया है।
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