देश की खबरें | प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक सिखों व हिन्दुओं को शरण देने का दिया निर्देश

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नयी दिल्ली, 17 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक में अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने और वहां से भारत आने के इच्छुक सिखों व हिंदुओं को शरण देने का अधिकारियों को निर्देश दिया।

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की अध्यक्षता करते हुए यह भी कहा कि भारत की ओर मदद की आस लगाए बैठे अफगानी भाई-बहनों को हरसंभव मदद दी जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया।

अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के नियंत्रण के बाद वहां पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने यह उच्च-स्तरीय बैठक की। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लेने वाला सर्वोच्च सरकारी निकाय है।

प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, अफगानिस्तान में भारत के राजदूत आर टंडन सहित कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

टंडन आज ही अफगानिस्तान से स्वदेश लौटे हैं।

जयशंकर इस बैठक में शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह देश में नहीं हैं।

सूत्रों के मुताबिक बैठक में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुई सुरक्षा और राजनीतिक परिस्थिति से सीसीएस को अवगत कराया गया।

अफगानिस्तान से सुरक्षित भारत लाए गए वहां स्थित भारतीय दूतावास के कर्मचारियों, भारतीय समुदाय के कुछ लोगों और मीडिया से संबंधित लोगों के बारे में भी बताया गया।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां अफरा-तफरी का माहौल है।

भारतीय वायु सेना के सैन्य परिवहन विमान से भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों, सुरक्षा कर्मियों एवं वहां कुछ फंसे हुए भारतीयों सहित करीब 150 लोगों को काबुल से वापस लाया गया ।

इससे पहले, सोमवार को काबुल से एक अन्य विमान से 40 कर्मियों को वापस लाया गया था।

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने कहा कि दूतावास कर्मियों को स्वदेश लाने का कार्य पूरा हो गया है और उस देश में वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब पूरा ध्यान अफगानिस्तान की राजधानी से सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने पर केंद्रित किया जाएगा।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय वीजा सेवाएं ई-आपात वीजा सुविधा के जरिये जारी रहेंगी, जिसे अफगानिस्तान के नागरिकों के लिये प्रदान किया गया है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमें अफगानिस्तान के सिख और हिन्दू समुदाय के नेताओं से अनुरोध प्राप्त हुआ है और हम उनके सम्पर्क में हैं।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार की तत्काल प्राथमिकता अभी अफगानिस्तान में मौजूद भारतीयों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने की है। मंत्रालय ने भारतीयों एवं उनके नियोक्ताओं से विदेश मंत्रालय के विशेष अफगानिस्तान प्रकोष्ठ को जरूरी जानकारी साझा करने को कहा है। इस प्रकोष्ठ का गठन वहां से लोगों को निकालने में समन्वय के उद्देश्य से किया गया है।

इन गतिविधियों के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा कि काबुल से भारतीय राजदूत और दूतावासकर्मियों को भारत लाना ‘कठिन और जटिल’ कार्य था और इसे संभव बनाने एवं सहयोग करने वाले सभी लोगों को वह धन्यवाद देते हैं।

सूत्रों ने बताया कि करीब 190 भारतीय राजनयिकों, अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों का काबुल से सुरक्षित निकालने में जयशंकर और डोभाल ने अहम भूमिका निभाई।

काबुल पर कब्जे के बाद हालांकि तालिबान का लचीला रुख सामने आया है। उसने पूरे अफगानिस्तान में ‘आम माफी’ की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया। इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश की है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे।

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