डाक विभाग ने लॉकडाउन में 100 टन से ज्यादा दवाओं और जरुरी सामान की आपूर्ति की : गृह मंत्रालय
कोविड-19 पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि दो लाख से ज्यादा डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक यह सुनिश्चत कर रहे हैं कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को ‘भारतीय डाक भुगतान बैंक’ की मदद से वक्त पर धन मिले।
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि डाक विभाग ने लॉकडाउन के दौरान 100 टन से ज्यादा दवाओं और चिकित्सा से जुड़े अन्य आवश्यक सामान की आपूर्ति की है। विभाग ने इसके लिए मालवाहक विमानों और डिलिवरी वैन का इस्तेमाल किया है।
कोविड-19 पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि दो लाख से ज्यादा डाकिये और ग्रामीण डाक सेवक यह सुनिश्चत कर रहे हैं कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को ‘भारतीय डाक भुगतान बैंक’ की मदद से वक्त पर धन मिले।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भारतीय डाक विभाग ने अस्पतालों और अन्य उपभोक्ताओं को 100 टन से ज्यादा दवाएं, जांच किट और वेंटिलेटर पहुंचाये।
कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर 25 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू है। पहले यह 14 अप्रैल की मध्य रात्रि को समाप्त होने वाला था, लेकिन इसे बढ़ाकर तीन मई तक के लिए कर दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस अवधि में राज्यों के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्य तक डाक पहुंचाने के लिए विभाग ने विशेष इंतजाम किए हैं। वह पेंशन सहित सरकार द्वारा लोगों को दिए जाने वाले अन्य लाभों को घर-घर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तंत्र के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत सैकड़ों करोड़ रुपये की भुगतान राशि को विधवाओं, वरिष्ठ नागरिकों तथा दिव्यांगों को उनके घरों पर उपलब्ध कराया जा रहा है। ’’
श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग ने जिला प्रशासन और एनजीओ के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान खाद्य सामग्री और राशन पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में मोबाइल (चल) डाकघर काम कर रहे हैं सभी को सामान्य डाक तथा वित्तीय सेवाएं मिल रही हैं।
उन्होंने बताया कि बैंकों और बाजारों पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरुरत है, जिसके लिए वे हर संभव प्रयास करते हैं। गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को लघु वन उत्पाद और गैर-लकड़ी उत्पाद को एकत्र करने, उन्हें काटने और उनका प्रसंस्करण करने की अनुमति दे दी थी।
बांस, नारियल, सुपारी, कोको और मसालों की खेती, कटाई, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, बिक्री और विप्पणन को भी छूट दी गयी है।
मंत्रालय ने सरकारी ऋण समितियों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम करने की छूट दी है।
श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जलापूर्ति, बिजली और टेलीकॉम परियोजना से जुड़े कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में जारी रहेंगे।
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