देश की खबरें | पोंजी योजना संचालक जाला ने चार साल में 11 हजार निवेशकों से 450 करोड़ रुपये जुटाए: गुजरात पुलिस
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. गुजरात में कथित पोंजी योजना संचालक भूपेंद्र सिंह जाला ने 2020 से 2024 के बीच राज्यभर में स्थापित 17 कार्यालयों के माध्यम से 11,000 निवेशकों से 450 करोड़ रुपये जुटाए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अहमदाबाद, 30 दिसंबर गुजरात में कथित पोंजी योजना संचालक भूपेंद्र सिंह जाला ने 2020 से 2024 के बीच राज्यभर में स्थापित 17 कार्यालयों के माध्यम से 11,000 निवेशकों से 450 करोड़ रुपये जुटाए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
साबरकांठा के हिम्मतनगर शहर का रहने वाला जाला लगभग एक महीने तक फरार था। उसे 27 दिसंबर को मेहसाणा जिले से गिरफ्तार किया गया। अदालत ने उसे चार जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
पुलिस उप महानिरीक्षक (सीआईडी-अपराध) परीक्षिता राठौड़ ने गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा, “पूछताछ के दौरान पता चला है कि जाला ने बीजेड फाइनेंशियल सर्विसेज के माध्यम से जमा राशि पर असामान्य रूप से उच्च फायदे की पेशकश करके निवेशकों से 450 करोड़ रुपये एकत्र किए।”
उन्होंने कहा, “जाला ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पूरे गुजरात में 17 शाखाएं खोलीं। हमारी जांच में पता चला है कि उसने चार साल में 450 करोड़ रुपये जुटाए और फिर 100 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति खरीदी। हालांकि, उसने वादे के मुताबिक जमाकर्ताओं को 100 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया।”
राठौड़ ने कहा, “अब तक हमें पता चला है कि जाला की फर्म द्वारा संचालित योजनाओं में लगभग 11,000 लोगों ने निवेश किया था। इनमें से करीब 10 लोगों ने एक करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था। फर्म के एजेंट, कार्य प्रणाली और संपत्ति के बारे में पता लगाने के लिए जांच जारी है।”
राज्य सीआईडी (अपराध जांच विभाग) ने नवंबर में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में जाला के अलावा उसके एजेंट सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया था।
सीआईडी के मुताबिक, जाला ने 36 फीसदी की वार्षिक ब्याज दर की पेशकश करके लोगों को अपनी फर्म की योजनाओं में पैसा लगाने के लिए राजी किया।
विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार, जाला ने आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) या किसी अन्य वित्तीय प्राधिकरण से मंजूरी लिए बिना सीधे-सादे लोगों को निवेश के लिए प्रेरित करने के वास्ते उत्तर गुजरात, गांधीनगर और वडोदरा में कार्यालय स्थापित किए थे।
बयान में कहा गया है, “जाला की फर्म निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए शुरू में वादे के मुताबिक रिटर्न देती थी, लेकिन बाद में वह भुगतान रोक देती थी। उसने निवेशकों को लुभाने के लिए कमीशन पर काम करने वाले कई एजेंट भी नियुक्त किए थे।”
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