तेहरान में प्रदूषण से बुरा हाल, लोगों को घर में रहने की सलाह
ईरान की राजधानी तेहरान में वायु प्रदूषण के कारण स्कूल बंद करने पड़े हैं.
ईरान की राजधानी तेहरान में वायु प्रदूषण के कारण स्कूल बंद करने पड़े हैं. दिल्ली की ही तरह तेहरान में भी ठंड की आमद के साथ ही वायु प्रदूषण की स्थिति भी बदतर हो जाती है. तेहरान के अलावा कई और शहरों की भी हालत खराब है.बीते दिनों भारत की राजधानी दिल्ली जहरीली हवा और स्मॉग के कारण अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रही. अब ईरान की राजधानी तेहरान भी इसी राह पर है. यहां वायु प्रदूषण इतने गंभीर स्तर पर पहुंच गया है कि स्कूली बच्चों और कई सरकारी कर्मचारियों को इस हफ्ते घर पर ही रहने का निर्देश दिया गया है. दिल्ली की ही तरह तेहरान में भी पतझड़ और सर्दियों के मौसम में गंभीर वायु प्रदूषण सामान्य बात हो गई है.
ऐसा नहीं कि बस राजधानी तेहरान की ही स्थिति गंभीर हो. देशभर के कई मुख्य शहर, वायु प्रदूषण से जुड़ी "रेड वॉर्निंग" की जद में हैं. इनमें दक्षिण-पश्चिम में बसा अहवाज, मध्य ईरान का इशफाहान और उत्तर-पश्चिमी ईरान का शहर तबरिज भी शामिल हैं.
सेहत और रोजगार, दोनों का नुकसान
राजधानी तेहरान के सभी स्कूल इस हफ्ते की शुरुआत से ही बंद हैं. पढ़ाई-लिखाई के लिए ऑनलाइन क्लास ली जा रही हैं. प्रांतीय गवर्नर के दफ्तर ने बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं जैसे संवेदनशील समूह में आने वाले लोगों के लिए सलाह जारी की है कि वे एक्सरसाइज और बाहर जाकर की जाने वाली गतिविधियों से फिलहाल बचें. निजी क्षेत्र में काम करने वाले संवेदनशील लोगों को भी घर से ही काम करने की सलाह दी गई है.
40 साल की आजम केवान सरकारी अधिकारी हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "स्थितियां बेहद खतरनाक हैं. घर से बाहर निकलते ही मेरे गले में खुजली होने लगती है." 42 साल के सईद सत्तारी, सड़क पर खोमचा लगाते हैं. उन्होंने कहा, "हम सांस नहीं ले पा रहे हैं." सईद बताते हैं कि प्रदूषण के कारण आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं, तो बिक्री नहीं हो पा रही है. वह कहते हैं, "मैं दिवालिया हो रहा हूं."
सर्दियों में बदतर होती स्थितियां
तेहरान, अल्बोर्ज पर्वत शृंखला के दक्षिण में बसा है. पर्वत की चोटियां, शहर की प्रदूषित हवा को रोक लेती हैं. ऐसे में ठंड की आमद के साथ ही स्थितियां बदतर होने लगती हैं. स्मॉग की मोटी परत जमने लगती है. जानकार चेताते हैं कि प्रदूषण के कारण ना केवल सेहत को गंभीर नुकसान हो सकता है, बल्कि यह आर्थिक तौर पर भी चोट करता है. ईरान में हवा की गुणवत्ता मापने वाली एजेंसी के मुताबिक, मार्च 2023 से अब तक केवल नौ ही दिन ऐसे रहे हैं जब हवा साफ पाई गई.
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण के कारण ईरान में सालाना करीब 40 हजार लोगों की जान जाती है. कई जानकार तेहरान के बिजलीघरों को भी खराब हवा के लिए जिम्मेदार मानते हैं. पर्यावरण विशेषज्ञ सदेघ परतानी कहते हैं, "बिजली आपूर्ति, थर्मल और गैस पावर प्लांटों पर ज्यादा निर्भर हो गई है. इससे स्वाभाविक तौर पर वायु प्रदूषण के स्रोत बढ़ाता है." परतानी कहते हैं कि बिजली पैदा करने वाले उद्योगों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सोलर ऊर्जा जैसे सस्टेनेबल स्रोतों को अपनाना बेहतर नतीजे देगा.
2017 में ईरान की संसद ने साफ हवा से जुड़ा एक कानून पास किया था. इसके तहत, सरकार समेत बाकी संबंधित विभागों को प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने थे. इसके बावजूद वायु प्रदूषण चुनौती बना हुआ है.
एसएम/वीके (एएफपी)