म्यांमा के दूसरे सबसे बड़े शहर मंडाले में प्रदर्शकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ को खदेड़ने के लिए चेतावनी स्वरूप दो गोलियां चलाई गईं।
सोशल मीडिया पर आई खबरों के मुताबिक, पुलिस ने वहां से दो दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने दूसरे दिन राजधानी में भी पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया और हवा में गोलियां चलाईं।
प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि सत्ता निर्वाचित असैन्य सरकार को लौटाई जाए। साथ में उनकी मांग है कि निर्वाचित नेता आंग सान सू ची और सत्ताधारी पार्टी के अन्य नेताओं को रिहा किया जाए।
यंगून और मंडाले के कुछ इलाकों के लिए सोमवार को एक आदेश जारी करके रैलियों और पांच से अधिक लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी गई है। साथ में रात आठ बजे से सुबह चार बजे तक कर्फ्यू भी लगा दिया गया है।
मंगलवार को बागो शहर में भी प्रदर्शन हुए जहां हिंसक टकराव को टालने के लिए शहर के बुजुर्गों ने पुलिस से बातचीत की।
मध्य म्यांमा के मेगवे में भी पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया। देश के सबसे बड़े शहर यंगून में शनिवार से प्रदर्शन हो रहे हैं।
देश में सेना का क्रूरता के साथ विद्रोह को कुचलने का इतिहास रहा है। सेना पर 2017 में आतंकवाद रोधी अभियान में जनसंहार करने का आरोप है जिस वजह से सात लाख से अधिक अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों को सुरक्षा के लिए बांग्लादेश में पनाह लेनी पड़ी है।
सरकारी मीडिया ने सोमवार को पहली बार प्रदर्शनकारियों का हवाला देते हुए दावा किया कि इन से देश की स्थिरता खतरे में हैं।
सरकारी टीवी एमआरटीवी पर पढ़े गए सूचना मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “ अगर अनुशासन ना हो तो लोकतंत्र को खत्म किया जा सकता है।“
उसमें कहा गया है, “ हम राज्य की स्थिरता, लोगों की सुरक्षा और कानून के शासन का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे।“
म्यांमा में तख्तापलट करने वाले सैन्य कमांडर ने सोमवार रात 20 मिनट के अपने भाषण में प्रदर्शनों का कोई जिक्र नहीं किया। वह अब देश के नेता हैं और सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद वह पहली दफा सामने आए हैं।
वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने बार-बार दावा किया कि चुनाव में धांधली हुई थी और उन्होंने सेना के तख्तापटल को जायज़ ठहराया। इस आरोप को चुनाव आयोग खारिज कर चुका है।
उन्होंने कहा कि जुंटा (सैन्य शासन) एक साल में चुनाव कराएगी और विजेता को सत्ता सौंपेगी।
एपी
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