नयी दिल्ली, छह जनवरी पंजाब, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी में पराली जलाने की घटनाओं में 37 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, दिल्ली का वार्षिक पीएम 2.5 स्तर 2024 में लगातार दूसरे साल बढ़ा। एक नयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (सीएसई) की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता 2024 में बढ़कर 104.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गई जो 2023 के स्तर से 3.4 प्रतिशत अधिक है। यह राष्ट्रीय स्तर पर वायु गुणवत्ता मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी दोगुना है।
इसमें कहा गया कि 2024 का औसत अभी भी 2018 में दर्ज सबसे अधिक 115.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 9.6 प्रतिशत कम है, लेकिन यह 2021-2023 के तीन साल के औसत से तीन प्रतिशत अधिक है, जो 2018 और 2022 के बीच मिली सफलता के निष्प्रभावी होने का संकेत देता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में 2024 में पराली जलाने की कुल वार्षिक घटनाओं में 37.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। पराली जलाने के मामलों में पंजाब में 75 प्रतिशत और हरियाणा में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
सीएसई में ‘रिसर्च एंड एडवोकेसी’ की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि को मौसम संबंधी कारकों के कारण होने वाली वार्षिक असामान्यता के रूप में नहीं देखा जा सकता तथा इसमें लगातार वृद्धि क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को दर्शाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पूर्व में किये गए प्रयासों से मिली सफलता को निष्फल कर दिया है। वाहन, उद्योग, खुले में कूड़ा जलाना, ठोस ईंधन का उपयोग, निर्माण और धूल के स्रोतों सहित प्रदूषण के स्थानीय और क्षेत्रीय स्रोतों ने पिछले दशक में हुई दीर्घकालिक प्रगति को कमतर कर दिया है।’’
रॉयचौधरी ने कहा, ‘‘दिल्ली अब पराली जलाने की आड़ नहीं ले सकती। अक्टूबर-दिसंबर 2024 के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में 71.2 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, सर्दियों में प्रदूषण उच्च स्तर पर बना हुआ है, जिससे वार्षिक प्रवृत्ति असंतुलित हो गई है।’’
सीएसई की शहरी प्रयोगशाला की कार्यक्रम अधिकारी शरणजीत कौर के अनुसार, सर्दियों की अवधि (1 अक्टूबर-31 दिसंबर) के लिए दिल्ली के निगरानी केंद्रों से प्राप्त वास्तविक समय के आंकड़ों से पता चलता है कि सर्दियों के शुरुआती चरण के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में प्रदूषण के चरम स्तर में 26 प्रतिशत की चिंताजनक वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि शहर में 17 दिन तक वायु गुणवत्ता गंभीर या अति गंभीर श्रेणी में दर्ज की गयी। साथ ही दो दिनों तक धुंध की स्थिति भी रही, जिसमें औसत धुंध क्रमशः 371 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 324 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी।
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