UP: इलाहाबाद HC में ताजमहल के इतिहास का सच सामने लाने के लिए कमेटी गठित करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में एक रिट याचिका दायर कर ताजमहल के इतिहास के सच को सामने लाने के लिए तथ्यों की जानकारी करने वाली एक कमेटी के गठन की मांग की गयी है.

ताज महल (Photo Credits Wikimedia Commons)

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में एक रिट याचिका दायर कर ताजमहल ( Taj Mahal) के इतिहास के सच को सामने लाने के लिए तथ्यों की जानकारी करने वाली एक कमेटी के गठन की मांग की गयी है.शनिवार को दायर की गई याचिका में इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के 22 बंद कमरों को भी खोलने की मांग की गयी है। याचिका अदालत की रजिस्ट्री में दायर की गई है और रजिस्ट्री द्वारा पारित होने के बाद यह सुनवाई के लिए संबंधित पीठ के सामने होगी.

याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई है। इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था. इसमें केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा राज्य सरकार को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि माना जाता है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है. यह भी पढ़े: UP: ताजमहल के 22 बंद कमरों की ASI से जांच कराने की याचिका दायर, जानें क्या है इन दरवाजों के पीछे का रहस्य

याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने और उन्हें उनके भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है. यह याचिका अयोध्या निवासी डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की है.

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