जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह मूंगफली तेल में सुधार, अन्य में गिरावट

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में मूंगफली तेल कीमत में आये सुधार को छोड़कर बाकी सभी (सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, मूंगफली तिलहन, कच्चा पामतेल, पामोलीन दिल्ली एवं एक्स-कांडला तथा बिनौला तेल) के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में मूंगफली तेल कीमत में आये सुधार को छोड़कर बाकी सभी (सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, मूंगफली तिलहन, कच्चा पामतेल, पामोलीन दिल्ली एवं एक्स-कांडला तथा बिनौला तेल) के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि दाम ऊंचे होने की वजह से बाजार में मूंगफली तेल की लिवाली कम है इसके चलते मूंगफली दाने (तिलहन) की खरीद भी कम है। वैसे तो लिवाली सभी खाद्य तेलों की कमजोर है। लेकिन मूंगफली की पेराई में भी मिल वालों को 5-7 रुपये किलो का नुकसान है। पेराई के बद इस तेल के लिवाल कम हैं। उन्होंने कहा कि मूंगफली तिलहन के नुकसान की भरपाई करने के लिए तेल के भाव ऊंचे बोले जा रहे हैं, इसलिए तेल के दाम में मजबूती है, पर लिवाली कमजोर बनी हुई है।

सूत्रों ने कहा कि यही हाल सरसों का है जिसमें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में गिरावट आई है। किसानों, व्यापारियों, सहकारी संस्थाओं के पास पिछले साल का भी काफी स्टॉक बचा हुआ है। अगले 10-15 दिन में कुछ राज्यों में सरसों की नई फसल भी आने वाली है। सस्ते आयातित तेल का बाजार पर कब्जा बना रहा, तो इस बार सरसों किसानों की और भी बुरी हालत होगी क्योंकि सस्ते आयातित तेलों के आगे सरसों कहीं खपेगा नहीं।

उन्होंने कहा कि बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से देश में सरसों तेल का भाव पेराई के बाद 125 रुपये किलो बैठता है और देशी सूरजमुखी तेल का दाम 150-160 रुपये किलो बैठता है। जबकि कांडला बंदरगाह पर आयातित सूरजमुखी तेल का दाम 80 रुपये किलो है। इसी प्रकार कांडला में आयातित सोयाबीन डीगम तेल का दाम 82.50 रुपये किलो है। तो फिर ऐसे हालात में देशी सूरजमुखी और सरसों की खरीद कैसे होगी?

सूत्रों ने कहा कि लगभग 3-4 साल पहले सूरजमुखी तेल का दाम जब 1,100 डॉलर प्रति टन हुआ करता था तब उसपर 38.50 प्रतिशत आयात शुल्क लागू था। बाद में जब इस तेल का दाम 2,500 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर जा पहुंचा, तो उस वक्त इसपर 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क और शुल्कमुक्त आयात होने की व्यवस्था थी। मौजूदा समय में जब इस तेल का दाम 900 डॉलर प्रति टन रह गया है तब भी आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत ही है। इन बातों पर कौन गौर करेगा ? जाहिर है, तेल संगठन को इस ओर ध्यान देना चाहिये। जिस तरह चीनी मिलों के संगठन अपने उद्योग की समस्या को सरकार के सामने रखकर अपनी अपनी मांग मनवा लेते हैं, वहीं तेल संगठनों का रवैया इसके उलट दिखता है। तेल उद्योग के सामने आसन्न दिक्कतों को उन्हें स्पष्ट रूप से सरकार को बताना चाहिये। यह भी बताना चाहिये कि बंदरगाह पर जिस सूरजमुखी तेल का थोक दाम 80 रुपये किलो है, वह उपभोक्ताओं को ऊंचे दाम (लगभग 125-130 रुपये 910 ग्राम यानी लीटर) में क्यों खरीदना पड़ रहा है?

उन्होंने कहा कि क्या तेल संगठनों की जिम्मेदारी खाद्य तेलों के आयात निर्यात के आंकड़े देने, पाम पामोलीन के बीच शुल्क अंतर बढ़ाने की मांग रखने तक सीमित होनी चाहिये?

पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 20 रुपये की गिरावट के साथ 5,275-5,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 100 रुपये घटकर 9,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15 और 15 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 1,650-1,745 रुपये और 1,650-1,750 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 25-25 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,910-4,970 रुपये प्रति क्विंटल और 4,720-4,770 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 300 रुपये, 250 रुपये और 125 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 9,350 रुपये और 9,250 रुपये और 7,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

मूंगफली तेल की मांग कमजोर रहने के बीच मूंगफली तिलहन की खरीद कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 10 रुपये की गिरावट के साथ 6,715-6,790 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। जबकि तिलहन के नुकसान की भरपाई करने के लिए तेल के दाम ऊंचा बोले जाने से मूंगफली तेल कीमतें मजबूत रहीं। वैसे ऊंचे भाव पर लिवाली यहां भी कमजोर बनी हुई है। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 80 रुपये और 10 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 15,780 रुपये क्विंटल और 2,355-2,630 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

गिरावट के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 40 रुपये के नुकसान के साथ 7,560 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 8,800 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 70 रुपये की हानि के साथ 7,980 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इस दौरान बिनौला तेल भी 125 रुपये घटकर 8,125 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि सरकार एक सरकारी पोर्टल पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की नियमित अधिसूचना अनिवार्य करके उपभोक्ताओं को मनमानी वसूली से कुछ राहत दे सकती है। खाद्य तेलों की महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को राशन के दुकानों के जरिये भी खाद्य तेल का वितरण करना चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अब देशी तेल- तिलहन का बाजार तभी स्वस्थ होकर आगे बढ़ पायेगा जब विदेशों में बाजार मजबूत होंगे। लेकिन इस स्थिति के बीच किसानों द्वारा तिलहन बुवाई से परहेज करने का भी अंदेशा है। पूर्व में ऐसे उदाहरण सूरजमुखी के साथ देखने को मिला है। मूंगफली की भी हालत बिगड़ती जा रही है जिसका उत्पादन पहले के मुकाबले काफी कम रह गया है। कुल मिलाकर यह खाद्य तेल के मामले में देश की आयात पर बढ़ती निर्भरता का संकेत देता है।

राजेश

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