विदेश की खबरें | भोजन के बारे में स्वाद की हमारी समझ हमारे खाने को गति देने में मदद करती है

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. सान फ्रांसिस्को, 28 जनवरी (द कन्वरसेशन) एक वैज्ञानिक के रूप में जो भूख और वजन नियंत्रण की जांच करता है, मुझे इस बात में दिलचस्पी है कि हमारा दिमाग किस तरह से हमें बताता है कि हमने पर्याप्त मात्रा में भोजन खा लिया है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

सान फ्रांसिस्को, 28 जनवरी (द कन्वरसेशन) एक वैज्ञानिक के रूप में जो भूख और वजन नियंत्रण की जांच करता है, मुझे इस बात में दिलचस्पी है कि हमारा दिमाग किस तरह से हमें बताता है कि हमने पर्याप्त मात्रा में भोजन खा लिया है।

हमें जैसे-जैसे अपना पेट भरा हुआ महसूस होने लगता है, हम खाने की गति धीमी कर देते हैं। दशकों से, वैज्ञानिकों ने यही सोचा है कि गति में यह परिवर्तन केवल पेट और आंतों से मस्तिष्क तक आने वाले संकेतों से प्रेरित था। लेकिन यूसी सैन फ्रांसिस्को में मेरी प्रयोगशाला के एक नए अध्ययन से पता चला है कि वास्तव में, एक और प्रक्रिया काम कर रही है, और यह जैसे ही हम अपने भोजन का स्वाद लेते हैं, शुरू हो जाती है।

इस प्रक्रिया के बारे में अभी अधिक पता नहीं चला है क्योंकि हम किसी जानवर के भोजन करते समय उसके मस्तिष्क की संबंधित गतिविधि का निरीक्षण नहीं कर पाए हैं।

इसमें शामिल न्यूरॉन्स मस्तिष्क तंत्र में गहरे होते हैं। मेरी प्रयोगशाला में एक स्नातक छात्र, ट्रूओंग ली ने नई तकनीकें विकसित कीं, जिससे हमें चूहों में पहली बार इन न्यूरॉन्स की गतिविधि को देखने की अनुमति मिली।

‘न्यूरॉन’ तंत्रिका तंत्र में स्थित एक कोशिका है। इस कोशिका का कार्य मस्तिष्क से सूचना का आदान-प्रदान और विश्लेषण करना है।

हमने पाया कि दो समानांतर तरीके हैं जो हमारे खाने को नियंत्रित करते हैं - एक यह नियंत्रित करता है कि आप कितनी तेजी से खाते हैं और दूसरा खाने की सीमा नियंत्रित करता है।

हम आमतौर पर ऐसा खाना अधिक खाना चाहते हैं जिसका स्वाद अच्छा हो। लेकिन यद्यपि हम सचेत रूप से इसके प्रति जागरूक नहीं हो सकते, स्वाद की अनुभूति भी हमारे खाने को गति देती है।

पहले तरीके में आंत से संकेत शामिल हैं, लेकिन हमारे अध्ययन से पता चलता है कि जब मस्तिष्क को मुंह में स्वाद इन्द्री से संकेत मिलते हैं तो उन संकेतों को भी नजरंदाज किया जा सकता है।

हमने जिस दूसरे तरीके का अध्ययन किया, उसमें शामिल न्यूरॉन्स, जो कि आप कितना खाते हैं उसे सीमित करने के लिए जिम्मेदार है। ऐसा हार्मोन ‘जीएलपी-1’ जारी करते हैं, जो लंबे समय तक पेट भरा होने का एहसास पैदा करता है।

ग्लूकागन जैसा पेप्टाइड-1 (जीएलपी-1) एक हार्मोन है जो भूख और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मेरी टीम इस संबंध में काम कर रही है कि इन नई दवाओं की गहरी समझ कैसे हासिल की जाए ताकि वजन को नियंत्रित करने के लिए नए तरीकों की पहचान की जा सके।

द कन्वरसेशन

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