विपक्षी सदस्यों ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक लाने की मांग की

कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने सोमवार को सरकार से संसद के चालू सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने का आग्रह किया, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाया कि 57 साल तक शासन में रहने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस विषय पर क्या किया।

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नयी दिल्ली, 18 सितम्बर: कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने सोमवार को सरकार से संसद के चालू सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने का आग्रह किया, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाया कि 57 साल तक शासन में रहने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस विषय पर क्या किया.

संसद के पांच दिवसीय सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा - उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा शुरू हुई.लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विषय पर अपने संबोधन में कहा कि पिछले 75 वर्ष में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जन का संसद पर विश्वास बढ़ता गया.

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उक्त विषय पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी के प्रयास से राज्यसभा में एक बार संबंधित महिला आरक्षण विधेयक पारित हो चुका था, लेकिन अब समय आ गया है कि सत्ता पक्ष महिलाओं को विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने संबंधित विधेयक इस सत्र में पेश करे और इसे मूर्त रूप देने में भूमिका निभाए.

उन्होंने विपक्षी दलों को अपने विचार रखने के लिए भी एक दिन तय करने का अनुरोध किया.तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने भी देश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने वाले विधेयक को मूर्त रूप देने की मांग सरकार से की.

भाजपा के राकेश सिंह ने कहा कि पिछले तीन संसद सत्रों से कार्यवाही बाधित करने वाले कांग्रेस के सदस्य आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें प्रश्नकाल में बोलने का अवसर नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि 57 साल के शासन के बाद कांग्रेस के लोग महिला आरक्षण की बात कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि विपक्षी पार्टी बताए कि उसने इस दिशा में क्या किया?

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद की गरिमा और संविधान को अक्षुण्ण रखने में अपनी पार्टी के पूर्ववर्ती नेताओं के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि जब संसद में संविधान और लोकतंत्र की चर्चा हो तो भारत के शिल्पकार कहे जाने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू और संविधान निर्माता बाबासाहब भीम राव आम्बेडकर का जिक्र करना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि यह उनके पूर्ववर्ती नेताओं की उपलब्धियों का उल्लेख करने का माकूल अवसर है.

चौधरी ने कहा, ‘‘नेहरू सहित बहुत सारे लोगों ने देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया था.’’चंद्रयान-तीन की सफलता को व्यक्तिगत कामयाबी के तौर पर भुनाने के लिए परोक्ष रूप से सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के गठन में नेहरू की बड़ी भूमिका थी.

उन्होंने कहा, ‘‘इसरो , विक्रम साराभाई के नेतृत्व में नेहरू के दृष्टिकोण का परिणाम है, जिसकी स्थापना 1964 में हुई थी.’’

चौधरी ने कांग्रेस के कार्यकाल में पारित किये गये अनेक कानूनों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आरटीई और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जैसे क्रांतिकारी कानून हमारी पूर्ववर्ती सरकारों की देन हैं. द्रमुक के टी आर बालू ने भी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता एक व्यक्ति की सफलता नहीं है, बल्कि देश के करोड़ों लोगों की सफलता है.

तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि ऐसे समय जब नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू होने जा रही है तो ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में भेद नहीं किया जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने आग्रह किया, ‘‘नए संसद भवन में महिला आरक्षण विधेयक को पेश किया जाए और पारित किया जाए. इसमें देर नहीं होनी चाहिए.’’

शिवसेना के राहुल शेवाले ने ‘इंडिया’ बनाम ‘भारत’ की बहस के संदर्भ में दावा किया कि संविधान सभा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भारत नाम रखने की पुरजोर वकालत की थी और तब कई सदस्यों ने ‘इंडिया’ शब्द का पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने कहा, ‘‘आज कांग्रेस को क्या हो गया। वे अपने पुराने नेताओं की बात भूल गये.’’

शेवाले ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार संविधान निर्माताओं के सपने पूरे करने के लिए आगे बढ़ रही है.

भाजपा सांसद राकेश सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में भारत की पहचान ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में कराई है.

उन्होंने कहा कि ‘आपातकाल के 21 महीने लोकतंत्र के इस मंदिर पर दाग’ हैं. सिंह ने कहा कि लेकिन देश का लोकतंत्र और जनता इतनी परिपक्व है कि उसने लोकतांत्रिक पद्धति के माध्यम से उस समय की व्यवस्था को बदल दिया था.

उन्होंने कहा कि इस सदन में इतिहास की गल्तियों को सुधारने वाले कई फैसले हुए.सिंह ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वस्थ विपक्ष का होना जरूरी है और कांग्रेस को भी यह भूमिका निभानी चाहिए.

चर्चा में भाग लेते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एम श्रीनिवासुलू रेड्डी ने कहा कि आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा किया गया था, उसे पूरा नहीं किया गया.

रेड्डी ने कहा कि उनके प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सदन में कामकाज का दिन बढ़ाया जाए और गैर सरकारी विधेयकों को भी महत्व दिया जाए.वाईएसआर कांग्रेस के सांसद ने यह भी कहा कि सदन में 30 प्रतिशत कामकाज का सुझाव विपक्ष की तरफ से आना चाहिए.

जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद गिरधारी यादव ने आरोप लगाया कि देश में संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, जो नहीं होना चाहिए. बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने भारत के संसदीय लोकतंत्र के लंबे सफर के कई घटनाक्रमों का उल्लेख किया और कहा कि पुराने संसद भवन से नए संसद भवन में जाना उनके लिए भावुक करने वाला क्षण है.

उन्होंने कहा कि इस सदन में अनुच्छेद 370 के विषय का निदान किया गया और अब समान नागरिक संहिता के मुद्दे का समाधान करने की जरूरत है.

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