देश की खबरें | असम राष्ट्रीय उद्यान में जंगली घोड़ों की संख्या घटी: एनजीटी ने नोटिस जारी किया

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नयी दिल्ली, 17 दिसंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने असम के डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में जंगली घोड़ों की गंभीर रूप से संकटग्रस्त स्थिति को लेकर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 16 दिसंबर को स्वत: संज्ञान मामले में पारित आदेश में कहा कि केवल राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले “अनूठे” घोड़े विलुप्त होने के कगार पर हैं और “तत्काल हस्तक्षेप” करने की आवश्यकता है।

जंगली घोड़े कथित तौर पर पालतू घोड़ों की नस्ल से उत्पन्न होते हैं, लेकिन वे पालतू नहीं होते हैं और स्वतंत्र रूप से घूमते हैं।

पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लिया था, जिसमें तस्करी, आवासन क्षेत्र की कमी, चरागाहों के सिकुड़ने, बाढ़ और संरक्षण अधिकारियों की उपेक्षा के कारण जानवरों की संख्या में “कमी” आने की बात कही गई थी।

खबरों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि ये घोड़े वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते और जनगणना के अभाव में उनकी संरक्षण स्थिति का पता लगाना कठिन है।

अधिकरण ने कहा, “यह मामला जैव विविधता अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का संकेत देता है। समाचार में पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।”

इसमें केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के सचिवों के अलावा भारतीय प्राणी सर्वेक्षण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशकों तथा राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन को पक्षकार या प्रतिवादी बनाया गया है।

न्यायाधिकरण ने कहा, “उपर्युक्त प्रतिवादियों को न्यायाधिकरण की पूर्वी क्षेत्रीय पीठ (कोलकाता में) के समक्ष हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब/प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जाता है।” मामले की सुनवाई 27 फरवरी को होगी।

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