देश की खबरें | गैर-जरूरी जनहित याचिकाएं बड़ी समस्या बने, उससे पहले ही इन्हें निरस्त कर देना चाहिए: न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने ‘कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रही’ जनहित याचिकाओं पर शुक्रवार को चिंता जताते हुए कहा कि गैर-जरूरी जनहित याचिकाएं समस्या बने, उससे पहले ही इन्हें निरस्त कर दिया जाना चाहिए ताकि विकास कार्य बाधित न हो।

नयी दिल्ली, तीन जून उच्चतम न्यायालय ने ‘कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रही’ जनहित याचिकाओं पर शुक्रवार को चिंता जताते हुए कहा कि गैर-जरूरी जनहित याचिकाएं समस्या बने, उससे पहले ही इन्हें निरस्त कर दिया जाना चाहिए ताकि विकास कार्य बाधित न हो।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में हो रहे निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की ज्यादातर पीआईएल ‘पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ (लोकप्रियता अर्जित करने के इरादे से दायर याचिका) या फिर ‘पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ (व्यक्तिगत हित के लिए दायर याचिका) होती हैं।

पीठ ने कहा, “हाल में ऐसा देखा गया है कि जनहित याचिकाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसी बहुत सी याचिकाओं में जनहित शामिल नहीं होता। ये याचिकाएं या तो ‘पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ या फिर ‘पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ होती हैं।”

न्यायालय ने कहा, “हम इस प्रकार की गैर-जरूरी पीआईएल दायर करने को अनुचित मानते हैं, क्योंकि यह कानून का दुरुपयोग करने जैसा है। इससे न्याय प्रणाली का कीमती समय बर्बाद होता है। समय आ गया है कि इस प्रकार की याचिकाएं बड़ी समस्या बनें, उससे पहले ही इन्हें निरस्त कर दिया जाए ताकि विकास कार्य बाधित न हों।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर में शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ओडिशा सरकार द्वारा की जा रही निर्माण गतिविधियां व्यापक जनहित में है।

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