देश की खबरें | घबराने की जरूरत नहीं, कोविड-19 जितना संक्रामक नहीं है एचएमपीवी: कर्नाटक सरकार

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बेंगलुरु, छह जनवरी कर्नाटक सरकार ने राज्य में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के दो मामलों का पता चलने के बाद सोमवार को लोगों से आग्रह किया कि वे घबराएं नहीं क्योंकि यह वायरस कोविड-19 जितना संक्रामक नहीं है।

चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) ने एक विज्ञप्ति जारी करके इस बात पर जोर दिया है कि श्वसन संबंधी बीमारी के लिए जिम्मेदार यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है जिससे सामान्य सर्दी के समान संक्रमण होता है।

इसमें कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) ने अस्पतालों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया है।

इसमें वायरस के प्रसार को बढ़ने से रोकने के लिए, लोगों को खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढंकने, बार-बार साबुन से हाथ धोने, लक्षण दिखने या बीमार व्यक्तियों के निकट संपर्क में आने पर सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचने की सलाह दी गई है।

सलाह में लोगों को टिशू पेपर या रूमाल का दोबारा इस्तेमाल न करने, तौलिया साझा नहीं करने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचने की सलाह दी गई है।

डीएमई के अनुसार, एचएमपीवी के कारण खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ सहित फ्लू जैसे लक्षण होते हैं।

अधिक गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है, विशेष रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों में।

इसमें कहा गया है कि वायरस सांस के जरिये निकलने वाली बूंदों, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने और वायरस से पहले से दूषित सतहों को छूने के बाद मुंह,नाक या आंखों को छूने से फैलता है।

एचएमपीवी के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार या टीका नहीं है। इसका उपचार आराम, पानी का इस्तेमाल, दर्द-बुखार निवारक तथा कफ नहीं जमने देने वाली दवा के संयोजन पर निर्भर है। इसमें कहा गया है कि गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी या आईवी तरल पदार्थ के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है।

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