देश की खबरें | ‘न्यूजक्लिक’ विवाद: उच्च न्यायालय प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनायेगा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और पोर्टल के मानव संसाधन (एचआर) विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती की उस याचिका पर शुक्रवार को अपना आदेश सुनायेगा जिसमें दोनों ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।
नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और पोर्टल के मानव संसाधन (एचआर) विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती की उस याचिका पर शुक्रवार को अपना आदेश सुनायेगा जिसमें दोनों ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।
चीन के समर्थन में दुष्प्रचार करने के लिए कथित तौर पर पैसे प्राप्त करने को लेकर पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया गया है।
न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला ने मामले के सभी पक्षों को सुनने के बाद सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति गडेला शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएंगे।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उन्होंने पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय का रुख कर अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद सात दिन की पुलिस हिरासत को चुनौती दी थी तथा अंतरिम राहत के तौर पर तत्काल रिहाई का अनुरोध किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने 10 अक्टूबर को उन्हें दस दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
पुलिस ने दिल्ली में ‘न्यूजक्लिक’ के कार्यालय को सील कर दिया है।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि भारत की ‘‘संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने’’ और देश में असंतोष पैदा करने के लिए समाचार पोर्टल को चीन से बड़ी राशि मिली थी।
इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने के लिए पुरकायस्थ ने ‘पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेकुलरिज़्म’ (पीएडीएस) समूह के साथ मिलकर साजिश रची थी।
पुरकायस्थ ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि उनके खिलाफ आरोप ‘‘झूठे’’ और ‘‘फर्जी’’ है और ‘‘चीन से एक पैसा भी नहीं लिया गया है।’’
मामले में पुरकायस्थ की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मौजूदा मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड का विरोध किया था। उन्होंने दलील दी थी कि यह मामला कानून की कई कसौटियों पर खरा नहीं उतर सकता है, इनमें यह भी शामिल है कि उन्हें गिरफ्तारी के वक्त या यहां तक कि आज की तारीख तक गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया।
दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा था कि मामला ‘‘गंभीर अपराध’’ से जुड़ा है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)