देश की खबरें | आईपीसीसी की नयी रिपोर्ट में तत्काल जलवायु अनुकूलन उपायों का आह्वान किया गया: विशेषज्ञ

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पर्यावरण विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि आईपीसीसी की नयी रिपोर्ट में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाली कई आपदाओं के बारे में आगाह करते हुए तत्काल जलवायु अनुकूलन उपायों का आह्वान किया गया है।

नयी दिल्ली, एक मार्च पर्यावरण विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि आईपीसीसी की नयी रिपोर्ट में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाली कई आपदाओं के बारे में आगाह करते हुए तत्काल जलवायु अनुकूलन उपायों का आह्वान किया गया है।

रिपोर्ट में सरकारों और निजी क्षेत्र सहित विभिन्न हितधारकों के लिए फिर से दोहराया गया है कि ‘‘यह काम करने का समय है।’’ जलवायु परिवर्तन अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) कार्यकारी समूह-दो की ‘जलवायु परिवर्तन 2022: प्रभाव, अनुकूलन एवं जोखिम’ रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। इसमें आगाह किया गया है कि यदि उत्सर्जन को तेजी से रोका नहीं गया तो दुनिया में गर्मी और उमस समेत इंसानों के लिए चरम स्थितियां पैदा होंगी और भारत उन स्थानों में से एक है जो इन असहनीय हालात का सामना करेंगे।

ग्रामीण भारत में वंचित समाजों के सतत विकास और कल्याण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन वाटरशेड ऑर्गनाइजेशन ट्रस्ट (डब्ल्यूओटीआर) ने कहा कि आईपीसीसी की रिपोर्ट में किए जा रहे अनुकूलन कार्यों और आवश्यक प्रयासों में बड़े अंतराल पर प्रकाश डाला गया है।

डब्ल्यूओटीआर ने एक बयान में कहा, ‘‘डब्ल्यूओटीआर नौ राज्यों के लगभग 5,200 गांवों में पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित अनुकूलन (ईबीए) को बढ़ाते हुए साझेदारी और सहयोग बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘कार्बन को अलग करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बनाने में ईबीए का प्रभाव और क्षमता विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में ठोस सबूतों पर आधारित है।’’ संगठन ने कहा कि महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में दो दशकों की गहन पारिस्थितिकी तंत्र आधारित परियोजनाओं ने वन क्षेत्र तथा पौधारोपण के क्षेत्र में 30 प्रतिशत की वृद्धि एवं कृषि आय में आठ से नौ गुना वृद्धि जैसे परिणाम दिखाए हैं।

वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया के क्लाइमेट रेजिलिएन्स प्रैक्टिस के निदेशक ए नंबी अप्पादुरई ने कहा कि रिपोर्ट सटीक स्थिति बयां करती है। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट अनुकूलन कार्यों के लिए सर्वोत्तम संभव साक्ष्य एक साथ लाती है, जिसमें निवेश, उत्तरदायी शासन संरचनाएं और स्थानीय ज्ञान का एकीकरण शामिल है।’’

डब्ल्यूआरआई इंडिया के सस्टेनेबल लैंडस्केप्स एंड रिस्टोरेशन प्रोग्राम की निदेशक रुचिका सिंह ने बताया कि रिपोर्ट में प्रमुख हितधारकों-सरकारों, नागरिक संस्थाओं, निजी क्षेत्र के लिए फिर से आह्वान है कि अब कार्रवाई करने का समय है तथा जलवायु कार्रवाई के लिए बहुत कम समय बचा है।

स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में काम करने वाले वैश्विक संगठन ‘हेल्थ केयर विदाउट हार्म’ में इंटरनेशनल क्लाइमेट पॉलिसी की निदेशक सोनिया रोशनिक ने कहा कि रिपोर्ट त्वरित कार्रवाई का आग्रह कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आईपीसीसी रिपोर्ट हमसे कार्रवाई में तेजी लाने का आग्रह कर रही है। पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन लोगों के स्वास्थ्य को तेजी से प्रभावित कर रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र को अपने सिस्टम को कम कार्बन और लचीले तौर-तरीकों में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।’’

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