अजित दादा के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला: सुप्रिया सुले

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने शनिवार को कहा कि उन्होंने राजनीतिक रूप से अलग हो चुके अपने चचेरे भाई अजित पवार के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा है।

Sharad Pawar Ajit Pawar Supriya Sule | (PTI)

पुणे, 23 सितंबर : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने शनिवार को कहा कि उन्होंने राजनीतिक रूप से अलग हो चुके अपने चचेरे भाई अजित पवार के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा है. कस्बा गणपति पंडाल में भगवान गणेश की पूजा करने के बाद बारामती लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली सुले ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं भगवान से कभी कुछ नहीं मांगती, मैं केवल उन्हें धन्यवाद देती हूं. इस साल राज्य में कम बारिश हुई है, इसलिए मैंने भगवान से प्रार्थना की कि महाराष्ट्र में अच्छी बारिश हो.’’

संसद में “भाई ” का जिक्र करते हुए उनके हाल के भाषण के बारे में पूछे जाने पर, सुले ने कहा, ‘‘अजित दादा मेरे बड़े भाई हैं और मैंने उनके खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला है। मैंने संसद में जो कुछ भी कहा, वह किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयानों के खिलाफ है.’’ राकांपा को जुलाई में उस समय झटका लगा था, जब अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी नेताओं का एक समूह अलग हो गया था और महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गया था. सुले अपने पिता एवं पार्टी संस्थापक शरद पवार के साथ बनी हुई हैं.

महिला आरक्षण विधेयक पर संसद में सुले ने कहा था, ‘‘हर घर में ऐसे भाई नहीं होते हैं, जो बहन का कल्याण देखते हैं.’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले 10 वर्ष से उनकी पार्टी की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन अब वह यह नहीं कहते कि राकांपा ‘‘स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी’’ है. उन्होंने कहा था, ‘‘भाजपा ने हमेशा बदले की राजनीति की है. यदि हमारे खिलाफ लगाए गये आरोप सही हैं, तो (हमारे खिलाफ) जांच होनी चाहिए.

साथ ही यदि आरोप झूठे निकले, तो भाजपा को हमसे माफी मांगनी चाहिए.’’बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली के खिलाफ संसद के निचले सदन में भाजपा के लोकसभा सदस्य रमेश बिधूड़ी की अपमानजनक टिप्पणी के बारे में पूछे गए एक सवाल पर सुले ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि घटना के बारे में राकांपा और तृणमूल कांग्रेस पहले ही लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख चुके हैं.

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