बर्मिंघम, छह अगस्त तोक्यो ओलंपिक में खराब प्रदर्शन के बाद करियर के सबसे बुरे दौर से गुजरने वाली भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना दबदबा कायम करते हुए स्वर्ण पदक के साथ शानदार वापसी की।
विनेश के लिए पिछले 12 महीने काफी तनाव भरे रहे लेकिन परिवार के साथ मिलने और अभ्यास करने के तरीके में बदलाव ने उनके करियर को एक बार फिर से सही राह दी।
तोक्यो ओलंपिक में शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के रूप में पहुंची विनेश पहले ही दौर में हारकर बाहर हो गयी थी। इसके बाद चोट और कुश्ती महासंघ के साथ तकरार ने उन्हें मानसिक रूप से काफी नीचे धकेल दिया।
इस 27 साल की खिलाड़ी को पिछले साल कोहनी की सर्जरी करानी पड़ी और फिर अपने अभ्यास के तरीके को बदलना पड़ा। उन्होंने अंडर-15 वर्ग के लडकों के साथ अभ्यास किया।
उन्होंने शनिवार को यहां राष्ट्रमंडल खेलों में 53 किग्रा का स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘अगर मेरा प्रशिक्षण सही चल रहा होता है, तो मैं मानसिक रूप से भी ठीक महसूस करती हूं।’’
राष्ट्रमंडल खेलों में तीसरी बार स्वर्ण पदक जीतने वाली विनेश ने कहा, ‘‘ इस पदक के लिए मैंने कितनी मेहनत की है यह सिर्फ मुझे पता है। पिछले 12 महीनों में मैंने जो कुछ किया है, उसे देखते हुए यह पदक बहुत खास है।’’
विनेश को राष्ट्रमंडल खेलों की टीम में जगह बनाने के लिए ट्रायल जीतने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था।
विनेश की विजयी वापसी पर राष्ट्रीय कोच जितेंद्र यादव ने कहा, ‘‘उसे पहले जरूरत के मुताबिक प्रशिक्षण नहीं मिल रहा था। अब इसमें बदलाव हुआ है और मेरे हिसाब से यही अंतर है।’’
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