जरुरी जानकारी | सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. कल रात शिकागो एक्सचेंज में आई गिरावट के बीच शनिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। महंगा होने के कारण मूंगफली तेल तिलहन और विदेशों से आपूर्ति कम होने के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर ही बंद हुए। हाजिर बाजार में सीपीओ की आपूर्ति बहुत कम है या कहें कि सोयाबीन से भी महंगा होने के कारण सीपीओ का आयात बहुत कम हुआ है।

नयी दिल्ली, 10 फरवरी कल रात शिकागो एक्सचेंज में आई गिरावट के बीच शनिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। महंगा होने के कारण मूंगफली तेल तिलहन और विदेशों से आपूर्ति कम होने के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर ही बंद हुए। हाजिर बाजार में सीपीओ की आपूर्ति बहुत कम है या कहें कि सोयाबीन से भी महंगा होने के कारण सीपीओ का आयात बहुत कम हुआ है।

शिकॉगो एक्सचेंज कल रात 1.5 प्रतिशत मंदा बंद हुआ था। सोमवार को मलेशिया एक्सचेंज बंद है। मंगलवार को सीपीओ और पामोलीन का रुख स्पष्ट होगा।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मौसम खुलने के साथ मंडियों में सरसों का दवाब बढ़ना चालू हो गया है। मंडियों में सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-12 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। मौसम खुलने के साथ आगे सरसों की आवक बढ़ेगी और दाम आगे भी टूटने के आसार हैं।

उन्होंने कहा कि सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी, कपास एमएसपी से नीचे बिक रहा है। मूंगफली तो एमएसपी से नीचे बिकने के बाद भी खप नहीं रहा है। लेकिन ग्राहकों को इनके खाद्यतेल के दाम में कोई राहत नहीं मिल रही है। तिलहन बेशक नीचे बिक रहा हो पर इनके तेलों के दाम टस से मस होने का नाम नहीं ले रहे। जिस दाम पर तेल बेचा जा रहा है, उस अनुपात में किसानों को दाम मिल जायें तो तेल मिलें और किसानों की बांछें खिल उठें।

सूत्रों ने कहा कि जब स्थानीय तेल 125-130 रुपये किलो बैठेंगे और आयातित तेल का भाव 80-82 रुपये किलो होगा तो देशी तेल कहां खपेंगे ? इस पर विचार करने की जरुरत है। केवल आत्मनिर्भरता हासिल करने की मंशा जताने के अलावा इस स्थिति की भी समीक्षा कर उपचारात्मक कदम भी उठाने होंगे। पिछले 20-30 सालों से तेल उद्योग की जर्जर होती जा रही हालत के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाये जो तेल उद्योग की समस्याओं को सरकार के सामने लाने में नाकामयाब रहे। अगर सरकार सोचती है कि सस्ता आयात की बाढ़ के बाद खाद्यतेल सस्ते हुए हैं तो वस्तुस्थिति कुछ और ही है जिसका जायजा बाजार में जाकर लिया जा सकता है।

शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,400-5,450 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,150-6,225 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,165-2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,675 -1,775 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,675 -1,780 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,200 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,275 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,700-4,730 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,510-4,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

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