जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह अधिकांश खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में सुधार
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नयी दिल्ली, 12 फरवरी बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों तेल तिलहन को छोड़कर बाकी सभी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में मंडियों में सरसों की आवक शुरू होने के बीच सरसों तेल तिलहन में नुकसान दर्ज किया गया जबकि डीआयल्ड केक (डीओसी) और खल की मांग के कारण सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में मजबूती आई। मलेशिया में भाव में कुछ सुधार के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी मजबूती आई। नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग होने से बिनौला तेल के भाव भी सुधार दर्शाते बंद हुए। सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली डीओसी और खल की मांग होने से मूंगफली तेल तिलहन के भाव भी सुधार के साथ बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों, विशेषकर घरेलू तेल तिलहन उद्योग को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे हल्के (सॉफ्ट) तेल के भाव इस कदर जमीन चूम रहे हैं कि वहां से जरा सा भी उठे तो विगत दिन के मुकाबले वह मजबूती ही होती है। लेकिन अभी भी इनकी कीमतें देशी तेल तिलहनों के मुकाबले बेहद कम हैं। अगर सूरते हाल ऐसे ही बने रहे तो सरसों, सोयाबीन, बिनौला जैसे देशी तेल तिलहनों का खपना नामुमकिन है। इसके अलावा सूरजमुखी की आगे होने वाली बुवाई भी प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा कि विशेषकर सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क लगाया जाना चाहिये क्योंकि सूरजमुखी बीज के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 25 प्रतिशत नीचे हैं। आयात शुल्क लगाने से सरसों, बिनौला, मूंगफली और सोयाबीन जैसे देशी तिलहन खप सकेंगे और किसान की सूरजमुखी की आगामी बुवाई में दिलचस्पी बढ़ेगी।
सूत्रों ने कहा कि सरकार चाहे तो सीपीओ और पामोलीन पर आयात शुल्क न बढ़ाए क्योंकि इस तेल का ज्यादातर उपयोग औद्योगिक मांग के अलावा कम आयवर्ग के लोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि जनवरी के रिकॉर्ड आयात के मुकाबले फरवरी में खाद्यतेलों का आयात कम हुआ है लेकिन यह इतना भी कम नहीं है कि राहत की सांस ली जा सके। पशु आहार के महंगा होने से हाल के दिनों में दूध के दामों में कई बार वृद्धि हुई है। सस्ते आयातित तेलों से खाद्य तेल की कमी को पूरा किया जा सकता है लेकिन देशी तिलहन से देश को मुर्गीदाने और पशु आहार के लिए डीओसी और खल प्राप्त होते हैं।
सूत्रों ने कहा कि 1980-90 के दशक में खाद्य तेलों की कमी को दूर करने के लिए सरकारी एजेंसियों से आयात के बाद खाद्य तेलों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये वितरित किया जाता था। इस व्यवस्था में उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से राहत देने की जो अपेक्षा होती थी, उसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलता था। इससे न तो किसानों को कोई फर्क पड़ता था और न ही तेल उद्योग को कोई फर्क पड़ता था। लेकिन मौजूदा समय में हल्के तेलों का शुल्क-मुक्त आयात होने के बावजूद खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को तेल कीमतों में आई गिरावट का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 35 रुपये टूटकर 5,905-5,955 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 150 रुपये घटकर 12,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 20-20 रुपये घटकर क्रमश: 1,970-2,000 रुपये और 1,930-2,055 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 125 रुपये और 75 रुपये सुधरकर क्रमश: 5,470-5,600 रुपये और 5,210-5,230 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 160 रुपये, 100 रुपये और 150 रुपये बढ़कर क्रमश: 12,460 रुपये, 12,150 रुपये और 10,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
ऊंचे भाव पर कारोबार कम रहने तथा मूंगफली खल एवं डीओसी की मांग होने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी सुधार देखने को मिला। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 50 रुपये बढ़कर 6,475-6,535 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। एक सप्ताह पहले के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 50 रुपये बढ़कर 15,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव पांच रुपये बढ़कर 2,420-2,685 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में तेल के दाम में सुधार के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) में 450 रुपये की मजबूती आई और यह 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 500 रुपये मजबूत होकर 10,400 रुपये पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला का भाव 550 रुपये का लाभ दर्शाता 9,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुधार के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताह में 200 रुपये बढ़कर 10,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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