दवा उत्पादन संबंधी राज्यों के 100 से अधिक प्रस्तावों को पर्यावरण मंजूरी मिली
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को यहां जारी बयान में यह जानकारी दी गयी है। इस बयान के अनुसार, औषधीय उत्पादों के उत्पादन की पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा नियमों में पिछले महीने संशोधन किये जाने के बाद से मंत्रालय को पिछले दो सप्ताह में राज्यों से दवाओं के थोक उत्पादन संबंधी सौ से अधिक प्रस्ताव मंजूरी प्राप्त करने के लिये मिले थे।
नयी दिल्ली, 16 अप्रैल कोरोना वायरस महामारी के कारण दवाओं की जरूरत के मद्देनजर तमाम औषधियों में इस्तेमाल होने वाले तत्वों (एपीआई) और दवाओं के भारी मात्रा में उत्पादन से जुड़े सौ से अधिक प्रस्तावों को पर्यावरण मंजूरी मिल गयी है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को यहां जारी बयान में यह जानकारी दी गयी है। इस बयान के अनुसार, औषधीय उत्पादों के उत्पादन की पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा नियमों में पिछले महीने संशोधन किये जाने के बाद से मंत्रालय को पिछले दो सप्ताह में राज्यों से दवाओं के थोक उत्पादन संबंधी सौ से अधिक प्रस्ताव मंजूरी प्राप्त करने के लिये मिले थे।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संकट के कारण जरूरी दवाओं की आपूर्ति सुचारू बनाये रखने के लिये मांग के अनुरूप दवाओं का उत्पादन बढ़ाने की तात्कालिक जरूरत के मद्देनजर मंत्रालय ने ‘संशोधित पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन अधिसूचना’ जारी कर एपीआई संबंधी परियोजनाओं को राज्यों के स्तर पर ही पर्यावरण मंजूरी देने की छूट दे दी थी।
मंत्रालय के अनुसार, एपीआई और दवा उत्पादन संबंधी सौ से अधिक परियोजनाओं के प्रस्तावों को केन्द्रीय मंजूरी दे दी गयी है। ये प्रस्ताव अभी राज्य स्तर पर विभिन्न प्राधिकरणों के समक्ष विचाराधीन हैं।
दवाओं के उत्पादन से जुड़ी परियोजनाओं और औषधीय उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले तत्वों के उत्पाद से पर्यावरणीय नुकसान का आंकलन तथा उत्पादन इकाईयों द्वारा इसकी भरपायी के उपायों की समीक्षा करने के बाद ही मंत्रालय परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी देता है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर मंत्रालय ने मंजूरी की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिये हाल ही में संबंधित नियमों में संशोधन किया है।
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