देश की खबरें | प्रवासी श्रमिकों, बेरोजगारों के लिए वरदान बनी मनरेगा, राजस्थान में 49 लाख से ज्यादा को मिला रोजगार
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जयपुर, सात जून कोरोना संक्रमण के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन के बाद बेरोजगार हुए लोगों और अपने घरों को लौटे मजदूरों के लिए मनरेगा योजना वरदान साबित हुई है जहां बीते शनिवार राजस्थान में 9,983 ग्राम पंचायतों में 49 लाख से ज्यादा लोगों ने मनरेगा में काम किया। यह संख्या साल 2019 के जून महीने की तुलना में 17 लाख ज्यादा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें से ज्यादातर वे प्रवासी श्रमिक हैं जो लॉकडाउन के चलते बेरोजगार होकर घर लौटे या स्थानीय लोग जिनका काम छूट गया।

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जनप्रतिनिधि मानते हैं कि देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से शुरू की गयी रोजगार गारंटी की यह योजना संकट के इस समय में प्रवासी श्रमिकों और बेरोजगारों के लिए डूबते को तिनके का सहारा साबित हुई है।

उदाहरण के लिए राज्य की खींवसर पंचायत समिति की भुंडेल ग्राम पंचायत की बात करें तो वहां शनिवार को मनरेगा के तहत सात नाडी तालाब का काम चला जिस पर लगभग 2000 श्रमिक लगे। इनमें से दो सौ से ज्यादा जरूरतमंद प्रवासी श्रमिक हैं। इसके अलावा वे स्थानीय लोग भी हैं जो लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो चुके हैं और वे आजकल रोजी रोटी कमाने के लिए मनरेगा में काम करने आते हैं।

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राज्य के मनरेगा :महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना: आयुक्त पीसी किशन कहते हैं,'’सिर्फ प्रवासी श्रमिक ही नहीं, स्थानीय लोग जो नाई का, धोबी का या ऐसा और कोई अपना काम कर रहे थे लेकिन इन दिनों बेरोजगार हैं, वे भी मनरेगा से लाभान्वित हुए हैं... वहां काम कर रहे हैं।'’

भुंडेल के सरपंच धर्मेंद्र गौड़ के अनुसार,'‘ संकट के इस समय में बेरोजगार लोगों के लिए चाहे वह प्रवासी हो या स्थानीय, मनरेगा वरदान साबित हुई है।'’

पीसी किशन ने ‘पीटीआई ’ को बताया कि शनिवार को राज्य की कुल 11,346 में से 9,983 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम में 49,52,496 लोग नियोजित थे। एक साल पहले सात जून को यह संख्या 32,25931 थी यानी एक दिन में 17,26,565 ज्यादा लोगों को मनरेगा में काम मिला हुआ ।

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