गुजरात में फंसे प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्य लौटने के लिये तैयार

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये पिछले एक महीने से देश भर में लॉकडाउन जारी है जिसके कारण उनके आय का कोई स्रोत नहीं रह गया है जिससे उनके समक्ष भोजन का संकट पैदा हो गया है।

जमात

अहमदाबाद, 30 अप्रैल देश के दूसरे प्रदेशों में फंसे श्रमिकों को अपने राज्य लौटने की अनुमति केंद्र से मिलने के बाद गुजरात में फंसे प्रवासी श्रमिक अपने अपने गृह राज्य लौटने के लिय तैयार हैं ।

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये पिछले एक महीने से देश भर में लॉकडाउन जारी है जिसके कारण उनके आय का कोई स्रोत नहीं रह गया है जिससे उनके समक्ष भोजन का संकट पैदा हो गया है।

केंद्र के इस निर्णय से प्रवासी श्रमिकों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी है जो लॉकडाउन के कारण प्रदेश में फंसे हैं और उन्हें विभिन्न तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है । उनमें से बहुतेरे ऐसे हैं जो एकाकीपन से लड़ रहे हैं और घर के बाहर रहने से दुखी हैं क्योंकि अपने सगे संबंधियों से दूर हैं ।

अधिकारियों ने बताया कि केंद्र की ओर से फंसे लोगों के लिये अंतरराज्यीय आवागमन पर बुधवार को जारी दिशा निर्देश के बाद गुजरात सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को वापस भेजने के लिये प्रयास तेज कर दिये हैं, जो मुख्यत: उत्तर प्रदेश से हैं ।

अहमदाबाद में फंसे श्रमिकों ने वापस घर लौटने के लिय अपना सामान बांधना शुरू कर दिया है ।

मूल रूप से मध्य प्रदेश के मुरैना जिला निवासी तथा वर्तमान में अहमदाबाद के रानिप इलाके में रहने वाले श्याम सिंह ने बताया, 'लॉकडाउन के बाद मेरे और मेरे परिवार के लिये जीवन बहुत कठिन हो गया है क्योंकि मेरे पास अब कोई पैसा नहीं बचा है । मैं हर महीने करीब 13 हजार रुपये कमाता था । लेकिन​ पिछले एक महीने से कोई आय नहीं है ।'

साइकिल पर बच्चों के कपड़े बेचने वाले सिंह ने कहा, 'हम अपने घर जाने के इच्छुक थे, लेकिन यह संभव नहीं था। मैंने अपने दैनिक खर्चे के लिये अपने दोस्त से पैसा उधार लिया हुआ है ।'

वह इस बात से प्रसन्न हैं कि उन्हें वापस अपने घर जाने की अनुमति मिल गयी है ।

सिेंह ने कहा, 'मैं वहां अपने परिवार की मदद के लिये कुछ खेती कर सकता हूं । मैंने यात्रा के लिये अपना सामान बांध लिया है । अगर मुझे अपने गृह राज्य में कोई अच्छा काम मिल जाता है तो मैं यहां नहीं लौटूंगा ।'

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले कुलभूषण शर्मा शहर के चंदलोडिया इलाके में पानी पुरी बेचते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने जो कुछ बचाया था, उसी से उनका खर्च चल रहा है।

शर्मा ने बताया, 'एक बार मैंने सोचा कि पैदल ही आगरा चले जायें लेकिन मेरे परिवार ने मुझे इंतजार करने को कहा । मुझे खुशी है कि सरकार ने हमारे दर्द को समझा है । हर समय पैसे की ही बात नहीं होती है । हम में से कई लोग असल में यहां अकेलापन महसूस कर रहे हैं । हम इस स्थिति से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं अगर हमारे साथ परिवार के लोग और हमारे सबंधी हों ।'

अधिकारियों के अनुसार पूरे प्रदेश में इन प्रवासी श्रमिकों के अलावा करीब चार हजार अन्य लोगों को आश्रय गृहों में रखा गया है जो लौटने का इंतजार कर रहे हैं ।'

अतिरिक्त मुख्य ​सचिव :श्रम एवं रोजगार: विपुल मित्रा ने कहा कि करीब चार हजार प्रवासी श्रमिकों को राज्य के विभिन्न आश्रय गृहों में रखा गया है, जिन्हें जल्दी ही उनके संबंधित गृह राज्यों में भेज दिया जायेगा ।

उन्होंने बताया कि उनमें से 2300 अकेले उत्तर प्रदेश से हैं जबकि अन्य राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के हैं ।

मित्रा ने बताया, 'हमने पांच सौ श्रमिकों को महाराष्ट्र भेजने के लिये प्रक्रिया शुरू कर दी है । हम उन्हें सीमा तक पहुंचायेंगे जहां से राज्य के अधिकारी उन्हें लेकर आगे जायेंगे ।'

उन्होंने बताया कि ऐसे श्रमिकों को गैर सरकारी संगठनों एवं उद्योगों के साथ मिल कर निजी बसों में भेजने के लिये जिला कलेक्टरों को अनुमति दी गयी है ।'

उन्होंने बताया कि चूंकि उत्तर प्रदेश गुजरात से बहुत दूर है इसलिये हमने राज्य से कहा है ​कि वह अपनी बसें वहां से भेजें ताकि 2300 श्रमिकों को वापस भेजा जा सके ।

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