काम पर लौटने में डर रहे हैं पूर्वोत्तर के प्रवासी कामगार

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन (राष्ट्रीय बंद) लागू किया है। यह बंद 14 अप्रैल तक के लिये है।

नयी दिल्ली, नौ अप्रैल विनिर्माताओं के संगठन ऑल इंडिया मैन्यूफैक्चरर्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईएमओ) ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के प्रवासी कामगार अपने राज्यों से बाहर के कार्यस्थलों पर काम पर लौटने में डर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह लॉकडाउन के दौरान उन्हें हुआ कटु अनुभव है।

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन (राष्ट्रीय बंद) लागू किया है। यह बंद 14 अप्रैल तक के लिये है।

संगठन ने कहा कि पूर्वोत्तर के काफी कामगार अभी कार्यस्थलों में ही फंसे हुए हैं लेकिन वे राष्ट्रीय बंद के समाप्त होते ही अपने गृह राज्य लौट जाना चाहते हैं। प्रवासी कामगारों के लौट जाने के कारण उद्योग जगत के समक्ष पहले की श्रमबल की कमी का संकट मंड़रा रहा है। ऐसे में यदि पूर्वोत्तर क्षेत्र के कामगार बंद समाप्त होने के बाद अपने राज्य लौट जाते हैं तो इससे उद्योगों के सामने कामगारों की कमी का आसन्न संकट और गहरा जाएगा।

एआईएमओ ने अपने एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों के काफी सारे कामगार अन्य राज्यों में स्थित कार्यस्थलों पर काम पर लौटने में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

संगठन के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष (पूर्व) बी.पी.बख्शी ने अध्ययन के बारे में कहा, ‘‘देश में प्रवासी कामगारों में पूर्वोत्तर क्षेत्र सर्वाधिक योगदान देने वालों में से एक है। विशेषकर खाद्य एवं पेय क्षेत्र, सुरक्षा, चाय व कॉफी बगान, सैलून, सौंदर्य, नर्सिंग आदि क्षेत्रों में इनका काफी योगदान है।’’

उन्होंने कहा कि संगठन ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के कामगारों की लघु, मध्यम एवं दीर्घावधि में सुरक्षा के लिये केंद्र सरकार को लंबित वेतन के भुगतान, पर्याप्त खाद्य उपलब्धता तथा रहने के लिये सुरक्षित प्रबंध समेत कई सुझाव दिये हैं।

बख्शी ने कहा कि अध्ययन के अनुसार, पूर्वात्तर क्षेत्र के कामगारों के लौटने के कारण दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, बेंगलुरू, पुणे, हैदराबाद और गोवा आदि में एमएसएमई क्षेत्र को अगले छह से नौ महीने के दौरान कामगारों की कमी के संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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