ताजा खबरें | राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने पर दिया बल

नयी दिल्ली, 22 जुलाई राज्यसभा में शुक्रवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने कोविड महामारी के कारण देश में हजारों लोगों की जान जाने की ओर ध्यान दिलाते हुए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाये जाने पर बल दिया, वहीं कुछ सदस्यों ने स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाये जाने के सुझाव का समर्थन किया।

उच्च सदन में भोजनावकाश के बाद गैर-सरकारी कामकाज के दौरान ‘‘स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक 2021’’ पर चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किये। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा ने इस गैर सरकारी विधेयक को पेश करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य को नागरिकों का मौलिक अधिकार बनाया जाए। उन्होंने कहा कि देश में आगे यदि कोई महामारी आये तो नागरिक बेबस महसूस नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि देश ने पिछले वर्ष कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान इस बात को बहुत समीप से देखा कि स्वास्थ्य ढांचा कैसे चरमरा गया? उन्होंने कहा कि सरकारें यदि करोड़ों रूपये के विज्ञापन दे सकती हैं तो उस धन का इस्तेमाल स्वास्थ्य जैसे विषयों के लिए क्यों नहीं किया जा सकता है?

झा ने कहा कि कोविड लहर के दौरान जिन लोगों की जान गयी, वह व्यवस्था की कमी के कारण गयी। उन्होंने कहा कि देश में एक कोविड स्मारक बनाये जाने की आवश्यकता है ताकि वह हमें याद दिलाता रहे कि हमारी व्यवस्था में क्या कमियां रह गयी थीं और चूक से कैसे बचा जा सकता है?

राजद सदस्य ने कहा कि सरकारी योजनाओं में ‘‘मुफ्त या निशुल्क’’ जैसे शब्दों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे देश का गरीब वर्ग शर्मसार होता है। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन सहित सरकार की जो भी योजनाएं है, उनमें नागरिकों का योगदान है।

उन्होंने मांग की कि देश के हर व्यक्ति को निशुल्क स्वास्थ्य देखभाल सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में स्वास्थ्य क्षेत्र पर होने वाले खर्च को बढ़ाया जाना चाहिए।

मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कोविड महामारी के दौरान जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों का सम्मान किया, उसे पूरे देश ने देखा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा पहले केवल अमीरों तक ही सीमित था किन्तु मोदी सरकार ने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक गरीबों की स्वास्थ्य बीमा तक पहुंच के लिए आयुष्मान योजना शुरू की।

उन्होंने कहा कि देश में 22 एम्स बनने वाले हैं और अब किसी भी क्षेत्र के लोगों को उपचार के लिए राजधानी दिल्ली नहीं आना पड़ेगा।

सिन्हा ने कहा कि 2014 से पहले देश में एमबीबीएस पढ़ाई की 51 हजार सीट थी जिनकी 2022 तक संख्या बढ़कर 91 हजार हो गयी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भी स्वास्थ्य का अधिकार में शामिल है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति बनायी है। उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया था। उन्होंने कहा कि आज देश में 8600 से अधिक जन औषधि केंद्र हैं।

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