Mathura: द्वारकाधीश मंदिर की संपत्ति का विवाद आया सड़कों पर, लगा नोटिस
धर्म-अधर्म का ज्ञान देने वाले मान-मर्यादा का पाठ पढ़ाने वाले धर्मावलंबी ग्लैमर और पैसों की चकाचौंध के पीछे इस कदर नीचे गिर गए हैं कि मथुरा के विश्व प्रसिद्ध मंदिर श्री द्वारकाधीश जी महाराज की प्राण-प्रतिष्ठा पर आघात पहुंचाने से भी बाज नहीं आ रहे.
धर्म-अधर्म का ज्ञान देने वाले मान-मर्यादा का पाठ पढ़ाने वाले धर्मावलंबी ग्लैमर और पैसों की चकाचौंध के पीछे इस कदर नीचे गिर गए हैं कि मथुरा के विश्व प्रसिद्ध मंदिर श्री द्वारकाधीश जी महाराज की प्राण-प्रतिष्ठा पर आघात पहुंचाने से भी बाज नहीं आ रहे. जमीनी पारिवारिक विवाद को लेकर बुधवार को मंदिर के मुख्यद्वार पर उत्तर प्रदेश सरकार की राजस्व संहिता के अंतर्गत धारा 35(1) का नोटिस तहसीलदार मथुरा द्वारा चस्पा करा दिया गया है. मंदिर पर नोटिस चस्पा होते ही उसे देखने वालों की भीड़ लग गई. थोड़ी देर बाद उसके फोटो वायरल हुए और उसे फाड़ दिया गया. मंदिर पर नोटिस लगने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं. मंदिर प्रबंधन के इस विवाद में केंद्र सरकार के एक अत्यंत प्रभावशाली मंत्री का संरक्षण बताया जाता है.
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में श्री द्वारकाधीश मंदिर प्रबंधन की कमान काकरोली के बृजेश जी महाराज और उनके पुत्र वागीश जी के हाथों में है. बृजेश जी महाराज के दो और भाई हैं पराग महाराज शिशिर महाराज. काकरोली मथुरा गुजरात सहित देशभर में इनकी काफी बेशकीमती संपत्ति है. अधिकांश संपत्तियां ऐसी हैं जिनको बेचा नहीं जा सकता. इसके बावजूद समय अवधि पट्टा दिखाकर अप्रत्यक्ष रूप से लाभ कमा लिया जाता है.
पराग महाराज और शिशिर महाराज ने बृजेश जी महाराज आदि पर काकरोली बड़ोदरा में कई मुकदमें संपत्ति को लेकर दायर कर रखे हैं. मथुरा में भी तहसीलदार के यहां बाद संख्या 664/2 सितंबर 20 दायर किया गया है. इस मामले में आपत्ति के लिए 2 अक्टूबर से पूर्व जवाब दाखिल करना था, लेकिन वर्तमान मंदिर प्रबंधन ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया. इसके चलते बुधवार को मंदिर के मुख्यद्वार पर नोटिस चस्पा कर दिया गया.
सूत्रों का कहना है कि सन् 2012 में बड़ोदरा की एक अदालत में दर्ज एक केस में सभी संपत्ति की लिस्ट दाखिल की गई थी और तीनों भाई क्रमश: बृजेश पराग शिशिर में समझौता भी हुआ था. इसके बाद बृजेश जी महाराज ने वृंदावन में पागल बाबा मंदिर के सामने करीब 13 एकड़ बड़ोखर बिहारी की जमीन पट्टा कर दी. उस पर अब फ्लैट बन गए हैं. बचाव के लिए पट्टा में शर्त डाल दी गई कि पट्टाधारक प्रत्येक महीने मंदिर को एक निश्चित रकम दिया करेगा. इसकी जानकारी जब पराग महाराज और शिशिर महाराज को लगी तो उनमें खलबली मच गई.
सूत्रों का कहना है कि दोनों भाइयों ने बृजेश जी महाराज से दो-दो हाथ करने के लिए केंद्र के एक प्रभावशाली मंत्री का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया है. बृजेश जी महाराज और उनके पुत्र वागीश जी महाराज के खिलाफ कई स्थानों पर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं.
सूत्र बताते हैं कि बृजेश महाराज ब्रजभूषण लाल महाराज के ज्येष्ठ पुत्र हैं. नियम के अनुसार, मुख्य सेवायत की गद्दी के उत्तराधिकारी ज्येष्ठ पुत्र ही होते हैं. बहरहाल, अब जो भी हो, इस विवाद संबंधी मुकदमा तहसीलदार मथुरा के न्यायालय में चलेगा.