देश की खबरें | महाराष्ट्र: मंत्रियों ने और समय मांगा, जरांगे 24 दिसंबर की अपनी समयसीमा पर अड़े

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जालना, 21 दिसंबर महाराष्ट्र के तीन मंत्रियों ने बृहस्पतिवार को मनोज जरांगे से मुलाकात की और मराठा आरक्षण मुद्दे के समाधान के लिए और समय मांगा, लेकिन मराठा आरक्षण कार्यकर्ता 24 दिसंबर की अपनी समय सीमा पर अड़े रहे।

मंत्रियों गिरीश महाजन, उदय सामंत और संदीपन भुमरे ने जरांगे से जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में मुलाकात की और उनसे मराठों के लिए शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की उनकी मांग पर राज्य की प्रतिक्रिया के लिए अधिक समय देने का आग्रह किया।

महाजन ने कहा कि उन्होंने जरांगे को सूचित किया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा को बताया था कि पिछड़ा वर्ग आयोग की एक रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मराठों को आरक्षण प्रदान करने के लिए, यदि आवश्यक हुआ, तो फरवरी 2024 में राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र आहूत किया जाएगा।

हालांकि, महाजन ने कहा कि जरांगे ने रिकॉर्ड के आधार पर कुनबी (ओबीसी) प्रमाणपत्र जारी करने पर जोर दिया। महाजन ने कहा कि मां के रिकॉर्ड को कानून के मुताबिक नहीं माना जा सकता और कहा कि मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र पिता के रिकॉर्ड के आधार पर जारी किए जा रहे हैं।

जरांगे ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सरकार उनके द्वारा निर्धारित समयसीमा के भीतर मराठा आरक्षण मुद्दे को हल करने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा है कि यदि राज्य सरकार 24 दिसंबर तक (आरक्षण के लिए) कानून बनाने पर अपना रुख स्पष्ट करने में विफल रहती है और सभी मराठों को कुनबी (ओबीसी) प्रमाणपत्र जारी करने के लिए जिलाधिकारियों को आदेश जारी नहीं करती है तो समुदाय के सदस्य विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे।

जरांगे ने कहा कि वह सरकार को और समय नहीं देंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ सरकारी अधिकारी ‘‘64 गांवों में प्रासंगिक रिकॉर्ड’’ मिलने के बावजूद ‘‘पक्षपातपूर्ण’’ दृष्टिकोण अपना रहे हैं।

मुख्यमंत्री शिंदे ने बुधवार को विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि ऐसे व्यक्ति के रक्त संबंधियों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने के निर्देश जारी किए जाएंगे जिसके पास पहले से ही समान दस्तावेज हैं।

उन्होंने कहा था, ‘‘मराठा आरक्षण के मुद्दे पर गठित न्यायमूर्ति शिंदे समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट एक महीने में सौंपी जाएगी। इसकी समीक्षा करने के बाद, यदि आवश्यक हुआ, तो हम मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए फरवरी में विधानमंडल का एक विशेष सत्र आहूत करेंगे।’’

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