महाराष्ट्र सरकार ने आवश्यक सेवाओं के कर्मियों को मुंबई में ठहराने के सुझाव का विरोध किया

राज्य सरकार के अधिवक्ता पी.पी. काकाडे ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.ए. सैयद की पीठ से कहा कि आवश्यक सेवाओं के कर्मियों के शहर में ठहरने की व्यवस्था करने का सुझाव अव्यावहारिक है।

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मुंबई, 15 मई महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि उसके लिए आवश्यक सेवाओं के ऐसे सभी कर्मियों के लिए मुंबई में ठहरने की व्यवस्था करना मुमकिन नहीं है जो कोरोना वायरस लॉकडाउन के बावजूद हर रोज पालघर जिले से इस महानगर में आते हैं।

राज्य सरकार के अधिवक्ता पी.पी. काकाडे ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.ए. सैयद की पीठ से कहा कि आवश्यक सेवाओं के कर्मियों के शहर में ठहरने की व्यवस्था करने का सुझाव अव्यावहारिक है।

पालघर के निवासियों ने एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें पालघर से आने वाले आवश्यक सेवाओं के कर्मियों की मुंबई में ही रूकने की अस्थायी व्यवस्था करने की मांग की गई है।

चरण रवींद्र भट्ट की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मुंबई के कोरोना वायरस से प्रभावित इलाकों में आने वाले कई कर्मी संक्रमित हो गए हैं। वे मुंबई से संक्रमित होकर वसई-विरार में अपने घरों को आते हैं और यही प्रमुख वजह है कि पालघर जिले में भी कोरोना वायरस फैल रहा है।

इसमें कहा गया कि ठाणे, कल्याण, डोम्बीवली और नवी मुंबई में भी ऐसे ही हालात हैं।

याचिका में दावा किया गया कि हर दिन राज्य परिवहन की बसें इन कर्मियों को वसई-विरार और मुबई लाने-ले जाने के लिए 129 फेरे लगाती हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि अदालत ने आवास प्रदान नहीं कर पाने को लेकर राज्य सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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