नागपुर, 18 मई महाराष्ट्र सरकार ने बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए ईमानदारी के साथ सभी उपाय किये जा रहे है।
राज्य सरकार ने न्यायालय से उस याचिका को खारिज करने का आग्रह किया जिसमें कहा गया है कि महामारी से निपटने के लिए ‘केरल मॉडल’ को अपनाना चाहिए।
उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष सोमवार को दाखिल अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिशों के अनुसार रणनीतियों को लागू किया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि मार्च में महाराष्ट्र में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद कई कदम उठाये गये हैं जिसमें मुंबई, पुणे और नागपुर के हवाई अड्डो पर जांच करना, निषिद्ध क्षेत्रों की घोषणा करना, संक्रमित लोगों के संपर्क में आये लोगों के नमूने लेना, पृथक केन्द्रों की स्थापना आदि शामिल हैं।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘महाराष्ट्र की स्थिति केरल की तुलना में भिन्न है। महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों को पूरी ईमानदारी के साथ लागू कर रही है।’’
इसमें कहा गया है कि क्योंकि राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत अनुचित है।
राज्य सरकार ने इस याचिका को खारिज करने का आग्रह किया।
नागपुर निवासी सुभाष झंवर ने एक याचिका दायर कर कोविड-19 से जुड़े कई मुद्दों को उठाया था। इस याचिका के जवाब में सरकार ने यह हलफनामा दाखिल किया है।
पिछले महीने दायर इस याचिका में कहा गया था कि राज्य में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे है।
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