देश की खबरें | महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस्तीफा दिया: अदालत को बताया गया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा (एमएसयूबी) के कुलपति विजय कुमार श्रीवास्तव ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से एक महीने पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया है। यह जानकारी गुजरात उच्च न्यायालय को बुधवार को दी गई।

अहमदाबाद, आठ जनवरी महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा (एमएसयूबी) के कुलपति विजय कुमार श्रीवास्तव ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से एक महीने पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया है। यह जानकारी गुजरात उच्च न्यायालय को बुधवार को दी गई।

अदालत श्रीवास्तव की नियुक्ति के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवायी कर रही है।

श्रीवास्तव के अधिवक्ता मृगेन पुरोहित ने मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की एक खंडपीठ को बताया कि कुलपति ने मंगलवार शाम गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि इस्तीफा प्राप्त हो गया है और कुलपति का प्रभार किसी अन्य को सौंपे जाने के बाद इस्तीफे को बृहस्पतिवार तक स्वीकार कर लिये जाने की उम्मीद है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बैजू जोशी ने बताया कि श्रीवास्तव के त्यागपत्र को राज्यपाल द्वारा स्वीकार किया जाना है और इसको देखते हुए अदालत ने मामले की अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को करना निर्धारित किया।

एमएसयूबी के शिक्षा विभाग के प्रोफेसर सतीश पाठक ने श्रीवास्तव की कुलपति के रूप में नियुक्ति को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। पाठक ने श्रीवास्तव को पद से हटाने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के उल्लंघन के बराबर है।

श्रीवास्तव को 10 फरवरी, 2022 को एमएसयूबी का कुलपति नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल इस साल आठ फरवरी को समाप्त होना था।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि श्रीवास्तव ने यूजीसी द्वारा सूचीबद्ध राष्ट्रीय महत्व के महाविद्यालयों या विश्वविद्यालयों में सेवा नहीं की है और उन्हें किसी प्रतिष्ठित अनुसंधान या अकादमिक प्रशासनिक संगठन में काम करने का अनिवार्य 10 साल का अनुभव भी नहीं है।

यूजीसी अधिनियम के नियमन 7.3 के अनुसार कुलपति के पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति के पास किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव अथवा किसी प्रतिष्ठित अनुसंधान या शैक्षणिक प्रशासन संगठन में 10 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है।

याचिका में कहा गया है कि अकादमी अनुभव का प्रमाण प्रस्तुत करने के बजाय, प्रोफेसर श्रीवास्तव ने केवल एक ‘बायोडाटा’ प्रस्तुत किया, जिसके आधार पर खोज कमेटी ने उनकी नियुक्ति की।

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