विदेश की खबरें | मैक्रों ने 1944 में फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा प.अफ्रीकी सैनिकों की हत्या को पहली बार नरसंहार बताया
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

मैक्रों का यह बयान सेनेगल की राजधानी डकार के बाहरी इलाके में स्थित मछुआरों के गांव थियारोये में द्वितीय विश्व युद्ध में हुई हत्याओं की 80वीं बरसी की पूर्व संध्या पर आया है।

फ्रांस के 1940 में हुए युद्ध के दौरान फ्रांसीसी सेना की तरफ से लड़ने वाले पश्चिम अफ्रीका के 35 से 400 सैनिकों को फ्रांसीसी सैनिकों ने ही एक दिसंबर 1944 को मार डाला था। फ्रांस के लोगों ने इसे अवैतनिक वेतन के मुद्दे पर हुआ विद्रोह बताया था।

पश्चिमी अफ्रीका के लोग तिरालेउर्स सेनेगलैस नाम की एक इकाई के सदस्य थे, जो फ्रांसीसी सेना में औपनिवेशिक पैदल सेना की एक टुकड़ी थी।

इतिहासकारों के अनुसार, नरसंहार से कुछ दिन पहले भुगतान न किए गए वेतन को लेकर विवाद था, लेकिन एक दिसंबर को फ्रांसीसी सैनिकों ने पश्चिम अफ्रीकी सैनिकों को घेर लिया और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

सेनेगल के राष्ट्रपति बासिरू डियोमाये फे ने कहा कि उन्हें मैक्रों का पत्र मिला है। फे ने बृहस्पतिवार देर रात संवाददाताओं से कहा कि मैक्रों के कदम से "दरवाजा खुलना चाहिए" ताकि "थियारोये की इस दर्दनाक घटना के बारे में पूरी सच्चाई" आखिरकार सामने आ सके। उन्होंने कहा, "हम लंबे समय से इस कहानी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं और हमें विश्वास है कि इस बार फ्रांस की प्रतिबद्धता पूरी, स्पष्ट और सहयोगात्मक होगी।"

मैक्रों के बयान में कहा गया है, ‘‘फ्रांस को यह स्वीकार करना चाहिए कि उस दिन, अपने पूर्ण वैध वेतन का भुगतान करने की मांग करने वाले सैनिकों और राइफलमैन के बीच टकराव ने घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप नरसंहार हुआ।’’

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