जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में हानि
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नयी दिल्ली, 24 जून विदेशों में खाद्य तेल कीमतों में गिरावट के बाद दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह लगभग सभी तेल-तिलहनों कीमतों में हानि दर्ज हुई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में विशेषकर सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम इस कदर टूटे हैं यह विश्व भर में किसी अन्य तेल तिलहनों को बाजार में टिकने नहीं दे रहा है। वैसे सोयाबीन तेल के मुकाबले दुनिया में सूरजमुखी तेल का काफी कम उत्पादन (रूस, यूक्रेन और अर्जेन्टीना में) होता है लेकिन सूरजमुखी के भाव इतने कम हैं कि सोयाबीन के साथ साथ बाकी खाद्यतेलों के दाम पर उसका भारी दवाब है।
सूत्रों ने कहा कि देश के बाजार में पिछले सप्ताह सोयाबीन का भाव 1,000-1,100 डॉलर प्रति टन था जो अभी घटकर 1,055-1,065 डॉलर प्रति टन रह गया है। इसी प्रकार पिछले सप्ताह सूरजमुखी तेल का भाव 980 डॉलर प्रति टन था जो दाम घटकर अभी 940 डॉलर प्रति टन रह गया है।
इस वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट है। सोयाबीन दाना के भाव पूर्वस्तर पर हैं पर सोयाबीन लूज के भाव में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 10 रुपये की मामूली गिरावट है। इस गिरावट का असर कितना और कब तक रहेगा यह समय ही बतायेगा।
सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल की अधिकांशतया खपत दक्षिणी भारत और महाराष्ट्र में होती है। पंजाब और हरियाणा का सूरजमुखी तेल दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र को जाता था लेकिन सस्ता होने की वजह से लोग भारी मात्रा में इसका आयात कर रहे हैं और अब बंदरगाहों से यह तेल उत्तर भारत में आ रहा है जहां इसकी खपत बेहद कम कही जा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों की वजह से सरसों तेल तिलहन पर भी दवाब है। हालांकि समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों तिलहन और सरसों दादरी तेल के भाव पूर्वस्तर पर दिखे लेकिन सरसों पक्की और कच्ची घानी के तेल में 5-5 रुपये प्रति टिन (15 लीटर) की गिरावट देखी गई।
आयातित तेलों के इसी सस्तेपन के कारण मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में गिरावट आई।
सूत्रों ने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ) में कारोबार लगभग ठप्प है क्योंकि पामोलीन सस्ते में उपलब्ध है और कोई सीपीओ मंगाकर प्रसंस्करण करने की लागत का बोझ लेना नहीं चाह रहे। दूसरा सूरजमुखी तेल पामोलीन के लगभग बराबर होने के कारण मांग कम होने से समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ और पामोलीन में गिरावट है।
प्रमुख तेल संगठन, साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने भी कहा है कि देश में आयातित तेलों की जो भरमार है और ऊपज नहीं खपने के बीच किसानों को सरसों जैसी फसल का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम मिल रहा है, उससे किसान तिलहन खेती करने से कतरा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि जून के महीने में अभी तक सूरजमुखी तेल के 3.50 लाख टन के आयात में से अंकेले कांडला पोर्ट पर एक लाख 56 हजार टन का जरुरत से कहीं अधिक आयात हुआ है। यह आयात उस वक्त हुआ है जब हरियाणा और पंजाब में सूरजमुखी की फसल आने वाली थी। सस्ता आयातित सूरजमुखी तेल के आगे अधिक लागत वाले देशी सूरजमुखी के नहीं खपने और दाम, लागत से कम लगाये जाने के कारण हरियाणा में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था। गौरतलब है कि पिछले साल इसी सूरजमुखी तेल का भाव विदेशों में लगभग 2,500 डॉलर प्रति टन था।
सस्ते तेलों का असर तात्कालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक हो सकता है और जिस तरह से इस बार सस्ते आयातित तेलों की वजह से देशी तिलहन बाजार में नहीं खपे हैं, उसे देखकर लगता है कि देश में तिलहन उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो इस बार तिलहन बुवाई का रकबा पहले से कम है। किसान, मोटा अनाज या अन्य किसी लाभकारी फसल का रुख कर सकते हैं। देश की आयात पर निर्भरता तो रही ही है लेकिन मौजूदा स्थिति को देखकर लगता है कि देश खाद्यतेल के मामले में पूरी तरह से आयात पर निर्भर होने की ओर बढ़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार और तेल संगठनों के प्रयासों की वजह से बड़ी अग्रणी कंपनियों ने अपने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को घटाकर पिछले साल के मुकाबले लगभग आधा कर दिया है। यानी जिस सूरजमुखी तेल का एमआरपी पिछले साल 235 रुपये लीटर था वह अब कम करके 115-120 लीटर कर दिया है जो उचित है।
सूत्रों के अनुसार पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 4,845-4,945 रुपये प्रति क्विंटल तथा सरसों दादरी तेल का भाव 9,450 रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित बना रहा। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव 5-5 रुपये की मामूली गिरावट के साथ क्रमश: 1,600-1,680 रुपये और 1,600-1,710 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने का भाव पूर्व सप्ताहांत के स्तर यानी 5,240-5,305 रुपये प्रति क्विंटल पर बना रहा जबकि सोयाबीन लूज का भाव 10 रुपये की मामूली गिरावट के साथ 5,005-5,070 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 300 रुपये, 300 रुपये और 100 रुपये टूटकर क्रमश: 10,000 रुपये, 9,700 रुपये और 8,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 20 रुपये, 20 रुपये और 10 रुपये की मामूली गिरावट के साथ क्रमश: 6,605-6,665 रुपये,16,550 रुपये और 2,460-2,735 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
कम कारोबार के बीच मांग प्रभावित होने से समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 250 रुपये घटकर 8,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये घटकर 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर और पामोलीन एक्स कांडला का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप देशी बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 400 रुपये की गिरावट दर्शाता 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
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