जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह सभी खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में रहा गिरावट का रुख

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सभी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई। विदेशी बाजारों में खाद्य तेल-तिलहनों के भाव टूटने, देश में सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे हल्के तेलों का रिकॉर्ड आयात होने से देशभर के तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल में गिरावट दर्ज हुई।

नयी दिल्ली, पांच फरवरी बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सभी खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई। विदेशी बाजारों में खाद्य तेल-तिलहनों के भाव टूटने, देश में सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे हल्के तेलों का रिकॉर्ड आयात होने से देशभर के तेल-तिलहन बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल में गिरावट दर्ज हुई।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बाजार में आयातित तेलों के भाव इतने सस्ते हैं कि देश के सोयाबीन, मूंगफली, आने वाली सरसों फसल, बिनौला का मंडियों में खपना दूभर हो गया है। सस्ते आयातित हल्के तेलों की बंदरगाहों पर भरमार होने के कारण देश का बिनौला तेल खप ही नहीं रहा और इससे खल महंगा हो रहा है। हमें सबसे अधिक खल बिनौले से ही मिलता है। देश की एक अग्रणी ब्रांड की दूध कंपनी ने देशभर में अधिकांश स्थानों पर अपने दूध के दाम बढ़ाये हैं।

सूत्रों ने कहा कि इस वृद्धि की मुख्य वजह है कि किसानों को पशुचारे में उपयोग होने वाले खल की अधिक लागत बैठ रही है और वे खल महंगा खरीद रहे हैं। मौजूदा हालात देखकर लगता है कि देश तिलहन मामले में आत्मनिर्भर होने के बजाय उसकी आयात पर निर्भरता बढ़ चली है।

सूत्रों ने कहा कि पिछले साल नवंबर तक महीने में औसतन 11.66 लाख टन खाद्य तेलों का आयात होता था लेकिन शुल्क मुक्त आयात की कोटा व्यवस्था के कारण वर्ष 2023 के पहले ही महीने यानी जनवरी में खाद्य तेलों के आयात में रिकॉर्डतोड़ वृद्धि हुई है। जनवरी में यह आयात 17.70 लाख टन का हुआ है। हल्के तेलों के आयात के दाम ऐसे ही बने रहे तो देशी तेल-तिलहनों का खपना मुश्किल है। देश के कई तेल मिलें पेराई का काम नहीं चलने से अपने कर्मचारियों की भी छंटनी करने लगे हैं।

सूत्रों ने कहा कि एक आदमी औसतन महीने में लगभग डेढ़ लीटर खाद्य तेल की खपत करता है जबकि उसकी दूध की खपत 8-10 लीटर माह होती है। खाद्य तेल की पेराई से मिलने वाले खल के दाम बढ़ने की वजह से हाल के दिनों में दूध कीमतों में कई बार वृद्धि हुई है। दूध के महंगा होने का कहीं अधिक असर खुदरा मुद्रास्फीति पर आता है। इस वजह से भी देशी तेल- तिलहनों का बाजार में खपना जरूरी है और इसी से निकलने वाला खल उत्पादन बढ़ने से दूध के दाम भी सस्ते होंगे।

सूत्रों ने कहा कि देश में पहले (1980-90 के दशक में) खाद्य तेलों की कमी को दूर करने के लिए सरकारी एजेंसियों से आयात के बाद खाद्य तेलों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये वितरित किया जाता था। इस व्यवस्था में उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से राहत देने की जो अपेक्षा होती थी, उसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलता था। इससे किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ता था न ही तेल उद्योग को कोई फर्क पड़ता था। लेकिन मौजूदा समय में हल्के तेलों का शुल्कमुक्त आयात होने के बावजूद खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को तेल कीमतों में आई गिरावट का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी का थोक दाम सात-आठ महीने पहले लगभग 200 रुपये लीटर था जो देश के बंदरगाह पर घटकर 93 रुपये लीटर रह गया है। उसी तरह सोयाबीन तेल का थोक दाम 170 रुपये लीटर से घटकर 97 रुपये लीटर रह गया है। इसके सामने देशी तेल कैसे खपेंगे जिनकी लागत अधिक है। इससे सूरजमुखी की चालू बिजाई प्रभावित हो सकती है। इस गिरावट से पूरे तेल उद्योग, किसान और उपभोक्ताओं को बचाने के लिए आयात शुल्क अधिकतम निर्धारित करना समय की मांग है।

सूत्रों ने कहा कि जिस मात्रा में थोक आयात भाव में कमी आई है, उपभोक्ताओं को उस मात्रा में लाभ पहुच नहीं पा रहा है। यह सब खुदरा कंपनियों और छोटे पैकरों द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) काफी अधिक निर्धारित किये जाने की वजह से है।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 310 रुपये टूटकर 5,980-6,030 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 500 रुपये घटकर 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 70-70 रुपये घटकर क्रमश: 1,990-2,020 रुपये और 1,950-2,075 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 110-110 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 5,395-5,475 रुपये और 5,135-5,155 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल क्रमश: 350 रुपये, 400 रुपये और 200 रुपये घटकर क्रमश: 12,300 रुपये, 12,050 रुपये और 10,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सस्ते आयातित तेलों की भरमार होने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी गिरावट रही। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 55 रुपये टूटकर 6,425-6,485 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 60 रुपये घटकर 15,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 20 रुपये घटकर 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) में 100 रुपये की गिरावट आई और यह 8,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 9,900 रुपये पर अपरिवर्तित रहा। पामोलीन कांडला का भाव 100 रुपये की हानि दर्शाता 8,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताह में 300 रुपये की गिरावट के साथ 10,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

राजेश

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