नयी दिल्ली, 22 अप्रैल सरकार ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमलों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाते हुए बुधवार को ऐसे अपराधों को गैर-जमानती बनाने के साथ ही अधिकतम सात साल की जेल और पांच लाख रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया। इस बीच, देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले बढ़कर 20,000 के पार हो गए जबकि मृतक संख्या 650 से अधिक हो गई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कैबिनेट की एक बैठक के बाद कहा, ‘‘डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिककल कर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा को हमारी सरकार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करती जो इस महामारी से लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’
कैबिनेट ने बैठक में 'इंडिया कोविड-19 इमर्जेंसी रिस्पॉन्स एंड हेल्थ सिस्टम प्रिपेयर्डनेंस पैकेज' के लिए 15 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये गए जिसका इस्तेमाल महामारी को रोकने के लिए तत्काल प्रतिक्रिया के तौर पर निर्दिष्ट उपचार इकाइयां और प्रयोगशालाएं स्थापित करने में किया जाएगा। इस निधि का उपयोग तीन चरणों में किया जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को कोविड-19 सेवाओं में शामिल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय अपनाने की सलाह दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने एक पत्र में कहा कि सभी पेशेवरों में, इन स्वास्थ्य कर्मियों का कौशल और सेवाएं उन्हें जीवन बचाने की एक अनोखी स्थिति में रखती है।
आधिकारिक सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में आगे के कदम को लेकर में 27 अप्रैल की सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद करेंगे। यह इस तरह की तीसरी वीडियो कान्फ्रेंस होगी।
11 अप्रैल को पिछले संवाद के दौरान कई मुख्यमंत्रियों ने 21-दिवसीय लॉकडाउन को दो सप्ताह तक बढ़ाने की सिफारिश की थी, जो पहले 14 अप्रैल को समाप्त होना था। मोदी ने इसके बाद इसे तीन मई तक बढ़ा दिया था।
हालांकि, भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बीच राजनीतिक गतिरोध जारी रहा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र ने उनके राज्य को दोषपूर्ण जांच किट भेजे।
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘रोजाना यह अफवाह फैलाई जा रही है कि बंगाल में कोविड-19 के लिए केवल कुछ नमूने ही जांचे जा रहे हैं। यह पूरी तरह झूठ है। बंगाल को खराब किट भेजी गयीं जिन्हें अब वापस ले लिया गया है। हमें पर्याप्त जांच किट भी नहीं मिलीं।’’
हालांकि, राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि वह देशव्यापी लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार के सभी आदेशों का पालन करेगी और कहा कि ‘‘यह एक तथ्य नहीं है’’ कि वह पश्चिम बंगाल में कोविड-19 की स्थिति का आकलन करने के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय टीम के साथ सहयोग नहीं कर रही।
यह आश्वासन केंद्र की ओर से यह आरोप लगाये जाने के बाद दिया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार केंद्रीय टीम के कार्य में बाधा डाल रही है।
पश्चिम बंगाल में अब तक 15 मौतें हुईं और 385 मामले सामने आये हैं, हालांकि राज्य में कम से कम 79 लोग कोविड-19 से ठीक हो गए हैं।
हालांकि विभिन्न राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के संकलन से पीटीआई द्वारा तैयार तालिका के अनुसार, शाम पौने सात बजे तक देशभर में संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 20,564 पर पहुंच गयी है और कम से कम 654 लोगों की मौत इस महामारी से हो चुकी है। अब तक 3,801 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से शाम पांच बजे प्राप्त अपडेट के अनुसार संक्रमित मामलों की संख्या 20,471 है जबकि मृतक संख्या 652 और ठीक हुए लोगों की संख्या 3949 है।
महाराष्ट्र में कोविड-19 के सबसे अधिक, 5600 से ज्यादा मामले सामने आये हैं और कम से कम 269 मौतें हुई हैं। वहीं गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में मामले सामने आए हैं।
एक निकाय अधिकारी ने कहा कि मुंबई के धारावी इलाके में बुधवार को नौ और व्यक्ति संक्रमित पाये गए जिससे घनी आबादी वाले झुग्गी इलाके में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 189 हो गई। क्षेत्र के कम से कम 12 कोविड-19 मरीजों की अब तक मौत हो चुकी है।
अधिकारी ने बताया कि दिन में सामने आने वाले नए मामलों में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का एक कर्मचारी शामिल है। उस व्यक्ति के संपर्क में आए सभी कर्मचारियों को ऐेहतियात के तौर पर स्वयं पृथक होने के लिए कहा गया है।
विभिन्न राज्यों में कई मीडियाकर्मियों के कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को एक सलाह जारी की जिसमें कोरोना वायरस से संबंधित घटनाओं को कवर करने वाले पत्रकारों को सावधानी बरतने के लिए कहा गया है। परामर्श में मीडिया घरानों के प्रबंधन को फील्ड के साथ-साथ कार्यालय कर्मचारियों की आवश्यक देखभाल करने के लिए भी कहा गया है।
कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में, देश के कुछ हिस्सों में अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों पर हमले की घटनाएं हुई हैं।
इस मुद्दे से निपटने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें कोविड-19 के खिलाफ लडाई में लगे स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के खिलाफ हिंसा एवं उत्पीड़न के कृत्य को गैर जमानती अपराध बनाया गया है। इसके लिए अधिकतम सात वर्ष की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। यह स्वास्थ्य पेशेवरों की उन पर हाल के हमलों के मद्देनजर एक प्रमुख मांग थी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि नए प्रावधान के तहत स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ अपराधों के लिए किसी व्यक्ति को तीन महीने से लेकर पांच साल तक की जेल की सजा और 50,000 रुपये से लेकर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। ऐसे मामलों में जिसमें चोटें गंभीर हों, सजा छह महीने से लेकर सात साल तक की होगी और जुर्माना एक से पांच लाख रुपये के बीच होगा।
यह स्पष्ट नहीं है कि ये प्रावधान कोविड-19 संकट के बाद भी जारी रहेंगे या नहीं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद 22 अप्रैल और 23 अप्रैल को प्रस्तावित 'व्हाइट अलर्ट' और 'ब्लैक डे' विरोध प्रदर्शन को वापस ले लिया।
डाक्टरों की इकाई मांग कर रही थी कि केंद्र ऐसे समय में स्वास्थ्य कर्मचारियों को बढ़ते हमलों से बचाने के लिए एक कानून लाए, जब वे कोविड-19 से मुकाबला कर रहे हैं।
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